
पाकिस्तान और अफगानिस्तान तत्काल युद्धविराम पर हुए सहमत, कतर और तुर्की ने की मध्यस्थता
क्या है खबर?
बीते करीब 2 हफ्ते से संघर्ष में उलझे पाकिस्तान और अफगानिस्तान तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। कतर के दोहा में दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में इस पर सहमति बनी है। इस वार्ता में कतर और तुर्की ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष तत्काल युद्धविराम और दोनों देशों के बीच स्थायी शांति एवं स्थिरता को मजबूत करने के लिए तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं।
बयान
आने वाले दिनों में और बैठकें करेंगे दोनों देश
कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा, "दोनों पक्षों ने युद्ध विराम की स्थिरता सुनिश्चित करने और विश्वसनीय और टिकाऊ तरीके से इसके कार्यान्वयन को सत्यापित करने के लिए आगामी दिनों में बैठकें आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की, जिससे दोनों देशों में सुरक्षा और स्थिरता प्राप्त करने में योगदान मिलेगा। कतर आशा जताता है कि यह कदम दोनों देशों में सीमा तनाव को खत्म करने में योगदान देगा और क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए ठोस आधार तैयार करेगा।"
पाकिस्तान
25 अक्टूबर को तुर्की में फिर होगी बैठक
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने युद्ध विराम समझौते की पुष्टि की और कहा कि अफगानिस्तान से पाकिस्तानी धरती पर आतंकवाद तुरंत बंद हो जाएगा। आसिफ ने कहा कि दोनों पक्ष 25 अक्टूबर को तुर्की के इस्तांबुल में फिर से मिलेंगे। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा था, "दोहा वार्ता का उद्देश्य अफगानिस्तान से पाकिस्तान के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करना और पाक-अफगान सीमा पर शांति और स्थिरता बहाल करना है।"
हमला
पाकिस्तानी हमले में 3 क्रिकेटर समेत 10 लोग मारे गए
पाकिस्तान ने बीते दिन अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत में एयर स्ट्राइक की थी। इस हमले में 3 युवा क्रिकेटरों समेत 10 लोगों की मौत हो गई थी। तालिबान ने इस्लामाबाद पर 48 घंटे के युद्धविराम को तोड़ने का आरोप लगाया था। वहीं, पाकिस्तान का कहना था कि उसने पाकिस्तानी तालिबान से जुड़े एक आतंकवादी समूह को निशाना बनाया गया था। इस समूह ने पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया था, जिसमें 7 जवान मारे गए थे।
धमकी
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री की धमकी- अफगानी लोग पाकिस्तान छोड़ें
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले सभी अफगानों को अपने वतन लौट जाना चाहिए। उन्होंने कहा था, "पाकिस्तानी धरती पर रहने वाले सभी अफगानों को अपने वतन लौटना होगा। अब काबुल में उनकी अपनी सरकार है। हमारी जमीन और संसाधन 25 करोड़ पाकिस्तानियों के हैं। आत्म-सम्मान वाले देश विदेशी जमीन और संसाधनों पर नहीं पनपते हैं। आतंकवाद का स्रोत चाहे कहीं भी हो, उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।"