आख़िर क्यों सूरत एयरपोर्ट पर फ़्लाइट के टेक ऑफ-लैंडिंग से पहले करनी पड़ती है फ़ायरिंग, जानें

अगर आप एयरपोर्ट पर गए होंगे, तो आपको पता होगा कि एयरपोर्ट के आस-पास फ़ायरिंग करना प्रतिबंधित है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह होती है कि प्लेन में भारी मात्रा में फ़्यूल भरा होता है और फ़ायरिंग से उसमें आग लगने का ख़तरा होता है। लेकिन हाल ही में एक मामला सामने आया है, जिसमें सूरत एयरपोर्ट पर फ़्लाइट के टेक ऑफ और लैंडिंग से पहले रोज़ाना 150 बार फ़ायरिंग करना पड़ता है। आइए जानें क्या है इसकी वजह।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सूरत एयरपोर्ट पर इस समय पक्षियों का ख़तरा ज़्यादा बढ़ गया है, जिसकी वजह से उन्हें भगाने के लिए इन दिनों जोन गन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहाँ रोज़ाना 46 उड़ानों की आवाजाही होती है। इनके टेक ऑफ और लैंडिंग से पहले हर बार जोन गन्स से फ़ायरिंग की जाती है। इस तरह रोज़ाना 150 बार, एक महीने में 4,500 और एक साल में 54,000 बार फ़ायरिंग की जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एयरपोर्ट के आस-पास झींगा पालने के कई छोटे-छोटे तालाब हैं। कई इलाकों में लंबी-लंबी घास भी है, जिससे यहाँ ज़्यादा कीड़े होते हैं। इन्ही कीड़ों को खाने के लिए पक्षी यहाँ आते हैं और उनके फ़्लाइट से टकराने का ख़तरा बना रहता है। एयरपोर्ट के डूमस और रनवे 4 की तरफ़ परिसर के बाहर कई झींगा तालाब हैं। एयरपोर्ट प्रबंधक ने इस बारे में कहा कि झींगा तालाब एक मुसीबत हैं।
प्रबंधन ने कहा, "हम हर छह महीने होने वाली पर्यावरण मीटिंग में तीन बार कलेक्टर से इस बारे में चर्चा कर चुके हैं। उन्हें इस समस्या के बारे में बताया गया है।" एयरपोर्ट प्रबंधन ने बताया कि लैंडिंग के दौरान उस दिशा में फ़ायरिंग की जाती है, जहाँ ज़्यादा पक्षी दिखते हैं। सुबह 06:00 बजे से 11:30 बजे तक 80 फ़ायरिंग की जाती है। वहीं, दोपहर में 03:00 बजे से शाम 07:30 तक 60 से 70 फ़ायरिंग की जाती है।
ख़बरों के अनुसार, सूरत एयरपोर्ट पर इस विधि का इस्तेमाल छह महीने पहले शुरू हुआ था। मई, 2017 से अब तक उड़ानों की संख्या में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है, जिससे ट्रैफ़िक बढ़ गया है। इससे बर्ड हीटिंग का ख़तरा भी बढ़ गया है। इस समस्या के समाधान के लिए जोन गन्स का इस्तेमाल शुरू हुआ। रनवे के दोनों तरफ़ पाँच गन्स लगाई गई हैं। इसके अलावा पक्षियों को भगाने के लिए वाइब्रेटर का भी इस्तेमाल किया जाता है।
बता दें कि एयरपोर्ट पर लगाई गई इन पाँच जोन गन्स की कीमत लगभग चार लाख रुपये है। इसमें से हर एक गन की कीमत 80,000 रुपये है। इन्हें गैस सिलेंडर लगाकर चलाया जाता है। रोज़ाना 150 फ़ायरिंग होती है, इसलिए हर 20 दिन में पाँचों गन्स के सिलेंडर भी बदलने पड़ते हैं। इस काम में हर महीने लगभग 7,000 रुपये का ख़र्च आता है। इसके अलावा मेंटिनेस का भी 3,000 रुपये महीने का ख़र्च आता है।
आँकड़ों पर ध्यान देने के बाद पता चलता है कि 2016 से अब तक बर्ड हिट की 28 घटनाएँ हो चुकी हैं। इनमें से सबसे ज़्यादा 2017 में 14 घटनाएँ हुई थीं। वहीं, इस साल अब तक छह बर्ड हिट की घटनाएँ हो चुकी हैं।