
गायतोंडे की पेंटिंग हुई 67 करोड़ रुपये में नीलाम, बनी भारत की दूसरी सबसे महंगी कलाकृति
क्या है खबर?
भारत कला का देश है, जहां एक से बढ़कर एक होनहार पेंटर रहे हैं। इन्हीं में से एक थे वासुदेव एस गायतोंडे, जो अपनी एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग के लिए चर्चित हुआ करते थे। गायतोंडे की 1970 में बनाई गई एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग हाल ही में नीलाम हुई है और भारत की दूसरी सबसे महंगी पेंटिंग बन गई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इसकी कीमत 67 करोड़ रुपये से भी ज्यादा लगी है। आइए इस पेंटिंग की खास बात जानते हैं।
नीलामी
दिल्ली में हुई थी इस पेंटिंग की नीलामी
पेंटिंग की नीलामी 27 सितंबर को दिल्ली में सैफ्रनआर्ट की 25वीं वर्षगांठ के दौरान हुई। इसे 'लाइव ईवनिंग सेल' के हिस्से के रूप में बेचा गया। यह अपनी अनुमानित कीमत से 3 गुना ज्यादा कीमत पर बिकी। यह पीले रंग के कैनवास पर बनी ऑयल पेंटिंग है, जो 67.08 करोड़ में बिकी है। यह गायतोंडे की सबसे महंगी पेंटिंग बन गई है, जिसने अमृता शेरगिल की 'द स्टोरी टेलर' और तैयब मेहता की 'ट्रस्ड बुल' को भी पिछाड़ दिया है।
पेंटिंग
क्यों खास है यह पेंटिंग?
इस पेंटिंग का कोई शीर्षक नहीं है, लेकिन इसकी चर्चा हर कोई कर रहा है। सैफ्रनआर्ट के CEO और सह-संस्थापक दिनेश वजीरानी ने कहा, "गायतोंडे हमेशा से शीर्ष पर रहे हैं। कई सालों तक सबसे महंगी भारतीय कलाकृति का रिकॉर्ड उनके नाम था। इसलिए, स्वाभाविक है कि वह फिर उन ऊंचाइयों को छुएं।" गायतोंडे ने बहुत कम पेंटिंग बनाई थीं, जिनमें से अधिकांश निजी संग्रहों की शोभा बढ़ा रही हैं। इसी वजह से उनकी हर पेंटिंग की इतनी मांग है।
गायतोंडे
कौन थे गायतोंडे?
गायतोंडे का जन्म 1924 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था और उनके माता-पिता मूल रूप से गोवा के निवासी थे। उन्होंने प्रोफेसर जगन्नाथ एम अहिवासी से भारतीय चित्रकला की बारीकियां सीखी थीं। उन्होंने 1950 में पेंटिंग बनाना शुरू किया था, जिसके बाद वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए। उन्होंने भारत और विदेशों में कई प्रदर्शनियां भी की थीं। गायतोंडे को 1971 में पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था।
अन्य पेंटिंग
इस नीलामी के दौरान बिकीं 85 पेंटिंग
जिस नीलामी के दौरान गायतोंडे की यह पेंटिंग बिकी है, उसमें कई अन्य पेंटिंग भी नीलाम की गई थीं। इस नीलामी के जरिए कुल 355.77 करोड़ रुपये की कमाई की गई है। इसके दौरान 85 कलाकृतियों को बेचा गया था, जो भारतीय कलाकारों द्वारा बनाई गई थीं। वजीरानी ने कहा, "भारतीय अब यह समझ रहे हैं कि कला अगली पीढ़ी के लिए मूल्य रखती है।" इसी वजह से वे महान कलाकारों की पेंटिंग खरीदने से पीछे नहीं हट रहे हैं।