फुटबॉल के इन 5 नियमों को बदला या फिर संसोधित किया जाना चाहिए
फुटबॉल दुनिया का सबसे ज़्यादा देखा और फॉलो किया जाने वाला खेल है। इस खेल में भावना, जुनून, त्याग और काफी कुछ लगा होता है। इस खेल में काफी सारे नियम हैं जिन्हें खिलाड़ियों को फील्ड पर मानना होता है। नियम का पालन नहीं करने वाले खिलाड़ियों को रेफरी दंड देते हैं। हालांकि, कुछ नियम ऐसे भी हैं जिन्हें आज के खेल को देखते हुए बदले जाने या फिर संसोधित किए जाने की जरूरत है।
किसी को चोट लगने पर गेंद को मैदान से बाहर किया जाना
अक्सर देखा जाता है कि यदि कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता है तो गेंद को मैदान से बाहर कर दिया जाता है और खेल रोक दिया जाता है। हालांकि, कई मौकों पर किसी टीम को अपना फुल फ्लो अटैक रोकना पड़ता है और कई बार गोल करने के शानदार मौके गंवाने पड़ते हैं। खेल भावना के हिसाब से तो यह सही है, लेकिन आज के समय में खिलाड़ियों का डाइव लगाना और समय बर्बाद करना निराशाजनक है।
पेनल्टी के नियम हैं काफी कठोर
बॉक्स के अंदर किए गए फाउल पर विपक्षी टीम को पेनल्टी दी जाती है, लेकिन कई बार इस कठोर नियम का नुकसान डिफेंडिंग टीम को होता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि बेहद हल्के कॉन्टैक्ट पर ही अटैकर गिर जाते हैं और उन्हें पेनल्टी दे दी जाती है। इस नियम के बारे में थोड़ा गहन विचार करने की जरूरत है। केवल हल्का सा टच होना या छोटा फाउल करने पर पेनल्टी नहीं दिया जाना चाहिए।
गोलकीपर्स को दिए जाने वाले कार्ड पर करना चाहिए विचार
बॉक्स के अंदर कई बार अटैकिंग खिलाड़ी से कॉन्टैक्ट होने पर गोलकीपर को रेड कार्ड तक दिखा दिया जाता है। ज़्यादातर मौकों पर यह कॉन्टैक्ट अंजाने मेें होता है, लेकिन फिर भी गोलकीपर के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाती है। सोचिए गेंद हवा में है और गोलकीपर उसे हासिल करने के लिए उछलता है, लेकिन खिलाड़ी से टकरा जाता है और गेंद से उसका संपर्क नहीं होता है। इस घटना में गोलकीपर को रियायत दी जानी चाहिए।
पेनल्टी के नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए
नियमों के मुताबिक देखा जाए तो पेनल्टी लेते समय अन्य खिलाड़ियों को बॉक्स के बाहर खड़ा होना होता है। हालांकि, ज़्यादातर मौकों पर देखा जाता है कि पेनल्टी लेते समय खिलाड़ी बॉक्स के अंदर घुसते हैं तो ऐसे में दोनों को ही फायदा मिलने के मौके होते हैं। कायदे से रेफरी को तय करना चाहिए कि कोई भी खिलाड़ी पेनल्टी किक लिए जाने के समय बॉक्स में नही घुसे और यदि ऐसा हो तो फिर उसे कड़े एक्शन लेने चाहिए।
शर्ट निकालने पर खिलाड़ियों को दिया जाने वाला कार्ड
जब भी फुटबॉल के सबसे शानदर गोल सेलीब्रेेशन की बात की जाती है तो उन खिलाड़ियों का नाम जरूर लिया जाता है जिन्होंने अपनी शर्ट निकालकर गोल सेलीब्रेट किया है। हालांकि, ऐसा करने वाले खिलाड़ियों को रेफरी की तरफ से येलो कार्ड दिखाया जाता है। मेरा यह मानना है कि फुटबॉल पूरी तरह से जोश का खेल है तो फिर बड़े मुकाबले या फिर अहम मौके पर गोल करने वाले खिलाड़ी को अपना गोल सेलीब्रेट करने की छूट मिलनी चाहिए।