रिवर्स स्विंग क्या है, कैसे फेंकी जाती है और इसका इतिहास, जानें
क्रिकेट में शानदार बल्लेबाज और दमदार गेंदबाज मिलकर रोमांच पैदा करने का काम करते हैं और दर्शकों को खेल से बांधे रहते हैं। तेज गेंदबाजों को अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए नई विविधताओं की जरूरत होती है। ऐसी ही एक विविधता है रिवर्स स्विंग, जो अगर ना होती तो शायद बल्लेबाजों ने इस खेल पर अपना अधिकार जमा लिया होता। आइए आपको बताते हैं रिवर्स स्विंग कैसे फेंकी जाती है, यह क्या होती है और इसका इतिहास।
रिवर्स स्विंग क्या है?
रिवर्स स्विंग गेंद को घुमाने की एक कला है जिसमें ऑउटस्विंग कराने वाले गेंदबाज की गेंद अंदर की तरफ और इनस्विंग कराने वाले गेंदबाज की गेंद बाहर की तरफ जाती है। इस तकनीक का इस्तेमाल गेंद के पुरानी हो जाने पर किया जाता है और आमतौर पर लगभग 35 ओवर पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग कराई जाती है। इसके लिए गेंद की एक साइड को खुरदुरा बनाया जाता है तो वहीं दूसरी साइड की शाइनिंग को बरकरार रखा जाता है।
रिवर्स स्विंग कैसे कराई जाती है?
किसी गेंदबाज को रिवर्स स्विंग कराना है तो उसे गेंद को साधारण स्विंग की तरह ही पकड़ना होता है। सामने दाएं हाथ का बल्लेबाज है तो गेंद की खुरदुरी साइड को तर्जनी अंगुली के बाईं तरफ और शाइनिंग साइड को दाईं तरफ रखा जाता है। गेंद छोड़ते समय अपने हाथ को ऑफ स्टंप से दूर ले जाना होता है। बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए गेंद पकड़ने का स्टाइल इसके विपरीत हो जाता है।
रिवर्स स्विंग के सामने कैसे करें बल्लेबाजी?
इस बात में कोई शक नहीं है कि रिवर्स स्विंग से निपटना बल्लेबाजों के लिए काफी मुश्किल काम है। किसी बल्लेबाज को रिवर्स स्विंग से निपटने के लिए अपनी बैकलिफ्ट को निश्चित मात्रा में कम करना होता है। यदि बल्लेबाज फ्रंटफुट पर आकर शॉट लगाने की कोशिश करता है तो इस चीज की उम्मीद ज़्यादा की जा सकती है कि वह विकेटों के सामने LBW आउट हो जाए।
रिवर्स स्विंग की खोज किसने की?
सालों से क्रिकेट में काफी बदलाव आया है और इसमें होती रही नई खोजों ने खेल को और भी रोमांचक बनाने का काम किया है। ऐसा माना जाता है कि 1940 में लाहौर में क्लब क्रिकेट के दौरान मुदस्सर नजर ने एक बिल्कुल भी ना खेली जा सकने वाली रिवर्स स्विंग गेंद डाली थी। हालांकि, टेस्ट क्रिकेट में इस गेंद का ज़्यादा चलन सरफराज नवाज, इमरान खान, वसीम अकरम और डेनिस लिली ने कराया था।