उबर को कैब संख्या बढ़ाने के लिए पार्टनरों की तलाश, पड़ रही कारों की कमी
क्या है खबर?
कैब सर्विस प्रोवाइडर कंपनी उबर अपने ऐप पर कैब की संख्या बढा़ने के लिए प्राइवेट और पारंपरिक टैक्सी ऑपरेटरों के साथ साझेदारी करना चाहती है। कंपनी अपने इस प्लान को उन सभी देशों में ले जाना चाहती है, जहां वो कैब सर्विस प्रदान करती है।
उबर ने दो साल पहले थर्ड-पार्टी टैक्सी इंटीग्रेशन शुरू किया था और उसकी वैश्विक स्तर पर 50 से 500 शहरों में थर्ड-पार्टी टैक्सी का विस्तार करने की योजना है।
उबर
साल के अंत तक भारत में देखने को मिल सकता है इंटीग्रेशन
ET ने अपनी रिपोर्ट में उबर के मोबिलिटी और प्लेटफॉर्म इंजीनियरिंग के वरिष्ठ निदेशक मणिकंदन थंगरथनम के हवाले से बताया कि उबर दुनियाभर में अपनी सेवाओं को इंटीग्रेट करने के लिए टैक्सी कंपनियों से बातचीत कर रही है और भारत में भी कई कंपनियों के साथ बातचीत चल रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि इंटीग्रेशन को लेकर भारत उनकी प्राथमिकता में शीर्ष पर है और साल के अंत तक यहां इंटीग्रेशन देखने को मिल सकता है।
टैक्सी
उबर का 2025 तक सभी कंपनियों को ऑनबोर्ड करने का लक्ष्य
अमेरिका, यूरोप के शहरों और हांगकांग जैसे बाजारों में उबर का इंट्रीगेशन पहले से काम कर रहा है। 2025 तक उबर ने अपने थर्ड पार्टी इंट्रीगेशन के जरिए दुनिया की सभी टैक्सियों को ऑनबोर्ड करने का लक्ष्य रखा है।
भारत में कैब सर्विस देने वाली कंपनियों को अपने ऐप पर कैब की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और महामारी के बाद से विशेष रूप से मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है।
ईंधन
इस वजह से पढ़ रही कैबों की कमी
ET ने मई की अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कैब प्रोवाइडर कंपनियों की तरफ से बहुत कम इंसेंटिव और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के चलते ड्राइवरों ने इन कंपनियों से अपनी कैब हटा ली हैं।
बीते 2 सालों में कॉमर्शियल टैक्सियों के नए रजिस्ट्रेशन में भी भारी गिरावट आई है। उबर के थर्ड पार्टी इंट्रीगेशन की मदद से ये सुविधा छोटे शहरों तक पहुंच सकेगी और कंपनी को अपनी वृद्धि को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
थर्ड
क्या हैं थर्ड पार्टी टैक्सी चालक?
उबर उन्हें थर्ड पार्टी टैक्सी चालक कहती है, जो उबर की राइडर ऐप इस्तेमाल नहीं करते हैं और पारंपरिक टैक्सी कंपनियों के काम करते हैं। न्यूयॉर्क और लंदन सहित दुनियाभर के कई शहरों में ये सालों से काम कर रहे हैं।
अपने इस इंटीग्रेशन के जरिए उबर उन टैक्सी कंपनियों के साथ काम करेगी, जिनके पास ज्यादा कारों का बेड़ा और सॉफ्टवेयर सिस्टम है। उबर का सॉफ्टवेयर इन टैक्सी कंपनियों के सॉफ्टवेयर से मिलाया जाएगा और वह कमीशन लेगी।