
यह छोटी AI एक्स-रे मशीन मिनटों में क्षय रोग का लगाएगी पता
क्या है खबर?
स्वास्थ्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) काफी उपयोगी साबित हो रहा है। भारत में राष्ट्रीय क्षय रोग (TB) कार्यक्रम के तहत एक क्रांतिकारी AI-संचालित पोर्टेबल एक्स-रे मशीन पेश की गई है। पुडुचेरी के विल्लियानूर स्वास्थ्य केंद्र में इसका उपयोग किया जा रहा है, जहां मरीज की कुछ ही मिनटों में जांच की जाती है। इस मशीन से लिए गए एक्स-रे तुरंत लैपटॉप पर दिखते हैं और AI सॉफ्टवेयर तुरंत यह बता देता है कि मरीज को टीबी है या नहीं।
काम
मशीन कैसे करती है काम?
यह मशीन SLR कैमरे जैसी दिखती है, जिसे तकनीशियन मरीज की ओर करके एक्स-रे खींचता है। मशीन के साथ डिजिटल डिटेक्टर और AI-सक्षम लैपटॉप होता है, जो तुरंत छवि की जांच करता है। अगर कोई संदिग्ध छवि दिखती है तो थूक के नमूने की सलाह दी जाती है, जिसे सरकारी लैब में भेजा जाता है। एक बार चार्ज करने पर यह मशीन 100 एक्स-रे कर सकती है, जिससे यह शिविरों और दूरदराज के इलाकों में भी उपयोगी हो जाती है।
उपकरण
अब देश में ही बन रहे हैं सस्ते उपकरण
पहले एक्स-रे मशीनें विदेश से आती थीं और एक यूनिट की कीमत 40-45 लाख रुपये होती थी। साथ ही सॉफ्टवेयर के लिए हर साल 5-7 लाख रुपये का खर्च होता था। अब भारत की कंपनियों ने इनका निर्माण शुरू किया है, जिससे इनकी लागत घटकर लगभग एक तिहाई हो गई है। इन्हें बैकपैक में रखा जा सकता है और किसी सॉकेट से 4-6 घंटे में चार्ज किया जा सकता है, जिससे ये पूरे दिन की जांच के लिए पर्याप्त हैं।
योजना
ICMR की मान्यता और भविष्य की योजना
ICMR ने 3 AI-सक्षम एक्स-रे मशीनों को मान्यता दी है, जिसमें लैबइंडिया की माइन-2, मायलैब की मायबीम और प्रोग्नोसिस की प्रोरैड एटलस शामिल हैं। वर्तमान में 473 मशीनें उपयोग में हैं और 1,500 और खरीदी जा रही हैं। सरकार का लक्ष्य है कि TB के हर छूटे मरीज को जल्द से जल्द पहचाना जा सके। यह तकनीक न केवल समय बचाती है बल्कि उन क्षेत्रों तक भी पहुंचती है जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, जिससे TB उन्मूलन में मदद मिलेगी।