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AI के बढ़ते उपयोग से गूगल के डाटा सेंटर्स में बिजली की खपत हुई दोगुनी
AI से बढ़ी बिजली की मांग

AI के बढ़ते उपयोग से गूगल के डाटा सेंटर्स में बिजली की खपत हुई दोगुनी

Jul 02, 2025
11:30 am

क्या है खबर?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग के कारण गूगल के डाटा सेंटर्स में बिजली की खपत काफी बढ़ गई है। कंपनी की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, उसके डाटा सेंटर्स ने इस साल 3.8 करोड़ मेगावाट-घंटे बिजली का उपयोग किया, जो 2020 के मुकाबले दोगुनी से भी ज्यादा है। अब गूगल की कुल बिजली खपत में 95.8 प्रतिशत हिस्सा केवल डाटा सेंटर्स का है, जिससे इसकी पर्यावरणीय प्रतिबद्धता पर भी असर पड़ रहा है।

PUE स्कोर

PUE स्कोर अपनी दक्षता की सीमा पर

गूगल का पावर यूसेज इफेक्टिवनेस (PUE) स्कोर 2024 में 1.09 रहा, जो बताता है कि कंपनी अब लगभग अपनी दक्षता की सीमा पर पहुंच गई है। उसने वर्षों से उन्नत कूलिंग सिस्टम और हार्डवेयर तकनीक का इस्तेमाल कर ऊर्जा की बचत की, लेकिन अब परंपरागत उपायों से ज्यादा सुधार संभव नहीं है। ऐसे में कंपनी का ध्यान स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर शिफ्ट हो गया है, ताकि बढ़ती AI और क्लाउड की मांग को पूरा किया जा सके।

निवेश

सौर, पवन और परमाणु में गूगल का निवेश 

स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में गूगल ने अब तक 1,700 अरब रुपये से अधिक का निवेश किया है। 2024 में उसने दक्षिण कैरोलिना और ओक्लाहोमा में सौर परियोजनाएं खरीदीं और इंटरसेक्ट पावर व TPG राइज क्लाइमेट जैसे साझेदारों के साथ नई ऊर्जा संरचनाओं पर काम शुरू किया। इसके अलावा, कंपनी ने भूतापीय और छोटे परमाणु रिएक्टरों से स्थायी ऊर्जा समाधान के लिए भी कई योजनाएं बनाई हैं, ताकि भविष्य में भी वह अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सके।

आपूर्ति

अब भी नहीं मिल पा रही पूरी स्वच्छ बिजली

इन प्रयासों के बावजूद गूगल अभी तक 24x7 कार्बन-मुक्त बिजली हासिल नहीं कर पाई है। 2024 में उसके डाटा सेंटर्स की केवल 66 प्रतिशत ऊर्जा ही स्वच्छ स्रोतों से मेल खा सकी। लैटिन अमेरिका में यह आंकड़ा 92 प्रतिशत तक रहा, जबकि मध्य पूर्व और अफ्रीकी क्षेत्रों में सिर्फ 5 प्रतिशत रहा। कंपनी अब भी हर क्षेत्र में सुधार की दिशा में काम कर रही है, ताकि वह तकनीकी विकास के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए।