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होम / खबरें / टेक्नोलॉजी की खबरें / प्ले स्टोर पर मौजूद आधी से ज्यादा एंटी-वायरस ऐप्स हैं नकली, संभलकर करें इस्तेमाल
टेक्नोलॉजी

प्ले स्टोर पर मौजूद आधी से ज्यादा एंटी-वायरस ऐप्स हैं नकली, संभलकर करें इस्तेमाल

प्ले स्टोर पर मौजूद आधी से ज्यादा एंटी-वायरस ऐप्स हैं नकली, संभलकर करें इस्तेमाल
लेखन प्रमोद कुमार
Mar 18, 2019, 04:37 pm 3 मिनट में पढ़ें
प्ले स्टोर पर मौजूद आधी से ज्यादा एंटी-वायरस ऐप्स हैं नकली, संभलकर करें इस्तेमाल

कई स्मार्टफोन यूजर्स अपने फोन को वायरस से बचाने के लिए एंटी-वायरस ऐप्स इस्तेमाल करते हैं। अगर आप भी इनमें से एक हैं तो ध्यान दीजिए कि आपका एंटी-वायरस किसी अच्छी कंपनी की हो। दरअसल, प्ले स्टोर पर मौजूद आधी से ज्यादा फ्री एंटी-वायरस ऐप्स बिल्कुर फर्जी हैं। यूजर्स इन ऐप्स को यह समझकर डाउनलोड कर लेते हैं कि ये मोबाइल को वायरस से बचाएगी, लेकिन उनसे कुछ नहीं होता है। ऐसा क्यों होता है, आइये जानते हैं।

ऐप्स
फ्रॉड हैं ज्यादातर ऐप्स

एंटी-वायरस ऐप्स स्मार्टफोन को मेलेशियस लिंक, फर्जी ऐप्स और वायरस से बचाती है। इन ऐप्स का काम होता है कि स्मार्टफोन वायरस से बचा रहे और इसके सारे फंक्शन सही से काम करते रहें, लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी में चिंताजनक बात सामने आई है। एंटी-वायरस टेस्टिंग कंपनी AV-Comparatives ने पाया है कि गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद दो तिहाई से ज्यादा एंटी-वायरस ऐप्स नकली हैं। असल मेें ये किसी काम की नहीं होती।

टेस्ट
कंपनी ने कैसे किया टेस्ट

कंपनी ने अपनी स्टडी के दौरान 250 ऐप्स की परीक्षण किया था, जिसमें केवल 80 ऐप्स ही मानकों पर खरी उतर पाईं। कंपनी ने इसके लिए हर ऐप को अलग-अलग डिवाइस पर इंस्टॉल किया और लगभग 2,000 मलेशियस प्रोग्राम के खिलाफ इनकी टेस्टिंग की। इनमें से महज केवल 30 प्रतिशत ऐप्स ही उस लिंक को हटा पाई, बाकी सारी ऐप्स इस टेस्ट में फेल हो गई। इन ऐप्स में सिर्फ व्हाइटलिस्ट और ब्लैकलिस्ट दी गई थी।

जानकारी
पैकेज कोड को रीड करती हैं ये ऐप्स

टेस्ट में फेल हुईं ऐप्स ऐप कोड को स्कैन करने की बजाय उनके पैकेज नाम के आधार पर रीड कर रही थी। अगर इन ऐप की व्हाइटलिस्ट में किसी ऐप का नाम दिया है तो ये कोड स्कैन किये बिना उसे सेफ रीड करती थी।

मकसद
विज्ञापन के लिए बनाई गईं ऐप्स

AV-Comparatives की रिपोर्ट के मुताबिक, टेस्ट में फेल हुई अधिकतर ऐप्स का पैटर्न और इंटरफेस एक जैसा था। इन्हें वायरस रोकने से ज्यादा विज्ञापन दिखाने के लिए डिजाइन किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से अधिकतर ऐप्स शौकिया तौर पर बनाई लगती हैं और उनका मकसद सिक्योरिटी बिजनेस में आना नहीं है। जानकारी के लिए बता दें, किसी भी ऐप्स को डाउनलोड करने से पहले उसकी रेटिंग और रिव्यू को जरूर देख लें।

सेफ्टी
इन कंपनियों की ऐप्स सेफ

AV-Comparative की रिपोर्ट के बाद यह तो पता चल गया है कि अधिकतर एंटी-वायरस ऐप्स नकली है, लेकिन कई ऐप्स ऐसी भी हैं जो इस टेस्ट में पास हुई है। कंपनी के टेस्ट में अधिकतर बड़ी कंपनियों जैसे केस्परकी, AVG, मैकेफी, क्विकहील और सिमेंटिक की ऐप्स पास हुई हैं। हालांकि, इन ऐप्स को इस्तेमाल करने के लिए आपको पैसे चुकाने पड़ेंगे क्योंकि ये ऐप्स फ्री नहीं हैं।

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प्रमोद कुमार
प्रमोद कुमार
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IIMC से पढ़ा। सच्ची, जरूरी और काम की हर बात आप तक पहुंचाने की कोशिश। राजनीतिक पार्टियों में हलचल से लेकर देश-दुनिया की बड़ी और अहम घटनाओं पर नजर रखता हूं। खबर को खबर की तरह आपके सामने पेश करने का प्रयास रहता है।
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