और पतले होंगे आने वाले मैकबुक्स, चौकोर की-बोर्ड पर भी काम कर रही है ऐपल
क्या है खबर?
टेक कंपनी ऐपल नए मैकबुक लाइनअप पर काम कर रही है और इसके डिवाइसेज मौजूदा मैकबुक मॉडल्स से पतले होंगे।
रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कैलिफोर्निया की कंपनी ने हाल ही में कई पेटेंट लिए हैं और एक नए पेटेंट में डिवाइसेज के लिए चौकोर कीबोर्ड की बात सामने आई है।
जिन पेटेंट्स का जिक्र रिपोर्ट्स में किया गया है, उनकी टेक्नोलॉजी को फ्यूचर मैकबुक डिवाइसेज में इस्तेमाल किया जा सकता है।
पेटेंट
छोटा मैकबुक डिजाइन करेगी ऐपल
चौकोर कीबोर्ड का डिजाइन फाइनल होने के बाद ऐपल मौजूदा डिवाइसेज के मुकाबले छोटा मैकबुक लॉन्च कर सकती है।
ऐपल ने US पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस में फाइल किए गए पेटेंट में कहा है, "जब कंप्यूटर इस्तेमाल किया जा रहा हो तो उसकी कीज को फ्री होना चाहिए, मूवेबल कीज की एडिशनल हाइट रिक्वायरमेंट्स का असर डिवाइस के ओवरऑल साइज पर पड़ता है।"
पेटेंट में बताया गया है कि कीबोर्ड खास 'सेलेक्टिविटी मैग्नेटाइजेबल सिस्टम' के साथ आएगा।
कीबोर्ड
स्केच में दिखा मैग्नेटिक की-बोर्ड डिजाइन
ऐपल पेटेंट के स्केच में मैग्नेटिक कीबोर्ड डिजाइन वाला मैकबुक दिखाया गया है।
तस्वीर में दिख रहा है कि किस तरह इस कीबोर्ड की कीज को मैग्नटाइजेबल मैटीरियरल की मदद से रिट्रैक्ट और एक्सपैंड किया जा सकेगा।
यानी कि अलग-अलग मोड्स में इस डिवाइस का कीबोर्ड रिट्रैक्ट रहेगा, या फिर कीज अपने आप बाहर आ जाएंगी।
कंपनी मैग्नेटाइज्ड कॉइल्स की मदद से मैग्नेटिक फील्ड तैयार करेगी और इसके लिए सही मैटीरियल इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्लीप मोड
मैग्नेटाइज्ड सिस्टम के साथ स्लीप मोड
ऐपल की ओर से फाइल किए गए दूसरे पेटेंट में कंपनी ने बताया है कि वह स्लीप मोड को ऑप्टिमाइज करने के लिए मैग्नेटाइज्ड सिस्टम का इस्तेमाल कर सकती है।
मैकबुक टेक्नोलॉजी में होने वाले इस बदलाव के बाद डिस्प्ले के आंशिक रूप से बंद होने पर सिस्टम स्लीप मोड में चला जाएगा।
बताया गया है कि नई टेक्नोलॉजी के साथ लिड के एक तय डिग्री से नीचे झुकने पर मैग्नेटिक सेंसर डिवाइस को स्लीप मोड में डाल देंगे।
बैकलाइट
पहले से बेहतर होगा बैकलाइटिंग सिस्टम
ढेरों लैपटॉप्स कीबोर्ड की बेहतर विजिबिलिटी के लिए बैकलाइटिंग सिस्टम के साथ आते हैं और ऐपल इसमें भी इनोवेशन करना चाहती है।
पेटेंट में बताया गया है कि जरूरत के हिसाब से यूजर्स चुनिंदा हिस्से को लाइट-अप कर सकेंगे।
कंपनी की मानें तो इस टेक्नोलॉजी की मदद से ऑप्टिमाइज्ड बैटरी लाइफ भी यूजर्स को मिलेगी।
हालांकि, सभी पेटेंट्स को फाइनल डिवाइस की टेक्नोलॉजी का हिस्सा बनाया जाए, ऐसा जरूरी नहीं है लेकिन ऐपल इस दिशा में काम कर रही है।