
चांद पर उतरने के एक कदम और करीब पहुंचा चंद्रयान-2, शनिवार को होगी लैंडिंग
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरने के एक कदम और नजदीक पहुंच गया है।
अब यह चांद की सतह से महज 35 किलोमीटर दूर है। बुधवार तड़के विक्रम लैंडर को फिर डि-ऑर्बिट किया गया।
अब यह चंद्रमा की आखिरी कक्षा में पहुंच गया है। यहां से यह 7 सितंबर को रात 1.55 मिनट पर चांद की सतह पर उतरेगा।
सुबह 5.30 से 6.30 बजे के बीच प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से बाहर आएगा।
जानकारी
दूसरी बार डि-ऑर्बिट किया गया विक्रम
ISRO ने बताया कि विक्रम ने चांद की सतह पर उतरने के लिए जरूरी कक्षा हासिल कर ली है। यह विक्रम की दूसरी डि-ऑर्बिटिंग थी। इससे पहले सोमवार को विक्रम ऑर्बिटर से अलग हुआ था। इससे अगले दिन इसे पहली बार डि-ऑर्बिट किया गया।
ऐतिहासिक घटना
लैंडिंग देखने के लिए ISRO मुख्यालय में मौजूद होंगे प्रधानमंत्री मोदी
7 सितंबर को चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद के दक्षिण ध्रुव पर लैंड करेगा। इस ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ISRO के मुख्यालय में मौजूद रहेंगे।
उनके साथ ISRO की स्पेस क्विज जीतने वाले 50 बच्चे भी विक्रम की लैंडिंग देखेंगे।
ISRO ने इन बच्चों के अभिभावकों को भी आमंत्रित किया है।
चांद पर लैंडिंग के साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
मिशन
14 दिनों तक काम करेंगे लैंडर और रोवर
चंद्रयान-2 में एक आर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल है। इनमें से ऑर्बिटर चांद के चारों ओर चक्कर लगायेगा, वहीं लैंडर विक्रम चांद की सतह पर लैंड करेगा।
इसके लैंड होने के बाद इसमें से रोवर निकलकर 14 दिनों तक चांद की सतह पर प्रयोग करेगा।
लैंडर भी इतने ही दिनों तक काम करेगा। हालांकि, आर्बिटर एक साल तक इस मिशन पर काम करता रहेगा।
लॉन्चिंग
22 जुलाई को लॉन्च हुआ था चंद्रयान-2
ISRO ने 22 जुलाई को चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था।
इससे पहले चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्च होना था, लेकिन तकनीमी खामी के कारण इसकी लॉन्चिंग को रोक लिया गया था।
दरअसल, रॉकेट के ऊपरी हिस्से में लगे क्रायोजेनिक इंजन में कुछ खामी आ गई थी, जिसे बाद में दूर किया गया।
ISRO प्रमुख सिवन ने इसे चंद्रमा की तरफ भारत के ऐतिहासिक सफर की शुरुआत बताया था।
चंद्रयान-1
सफल हुआ था चंद्रयान-1 मिशन
इससे पहले भारत ने 22 अक्टूबर, 2008 को अपना चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था, जिसमें केवल एक ऑर्बिटर शामिल था।
चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की कक्षा के 3400 से ज्यादा चक्कर लगाए और उसकी सतह की सैकड़ों तस्वीरें लीं।
हालांकि ईंधन की कमी के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका और 29 अगस्त 2009 को चंद्रयान-1 से संपर्क टूट गया, लेकिन संपर्क टूटने से पहले चंद्रयान-1 अपना 95 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर चुका था।