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क्या फोन के 'नाइट मोड' से आती है बेहतर नींद? स्टडी में सामने आई बात

क्या फोन के 'नाइट मोड' से आती है बेहतर नींद? स्टडी में सामने आई बात

May 02, 2021
11:01 pm

क्या है खबर?

ज्यादा वक्त स्मार्टफोन और स्क्रीन्स के सामने बीतने का असर यूजर्स की नींद पर पड़ता है। हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि मोबाइल फोन्स के से निकलने वाली ब्लू लाइट की वजह से यूजर्स को सोने में दिक्कत होती है। माना जाता है कि फोन्स से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन और स्लीप साइकल को प्रभावित करती है। अब स्मार्टफोन्स में नाइट शिफ्ट या नाइट मोड फीचर मिलता है और इसके प्रभाव से जुड़ी स्टडी सामने आई है।

फीचर

स्मार्टफोन्स में मिलता है खास फीचर

स्मार्टफोन इस्तेमाल करते वक्त आंखों पर ज्यादा जोर ना पड़े, इसके लिए ऐपल साल 2016 में नया iOS फीचर नाइट शिफ्ट नाम से लेकर आई थी। शाम होने के बाद यह फीचर स्क्रीन के कलर्स की वॉर्मनेस एडजस्ट कर देता है। इसके बाद एंड्रॉयड डिवाइसेज में भी ऐसा ही एक विकल्प यूजर्स को मिलने लगा। बेहतर नींद के वादे के साथ ज्यादातर एंड्रॉयड डिवाइसेज नाइट मोड के साथ आते हैं।

स्टडी

स्लीप हेल्थ के मामले में नाइट मोड का असर

ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी (BYU) की ओर से पब्लिश किए गए जर्नल में फोन मैन्युफैक्चरर्स की ओर से किए गए दावों की जांच की गई है। यूनिवर्सिटी की ओर से की गई स्टडी में कहा गया है कि नाइट शिफ्ट फंक्शन का असर सीधे तौर पर यूजर्स की नींद पर नहीं पड़ता है। यानी कि नाइट शिफ्ट फीचर से बेशक आंखों को आराम मिले और स्क्रीन डार्क दिखे लेकिन नींद पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा।

तरीका

18 से 24 साल की उम्र वाले यूजर्स पर स्टडी

स्टडी में 18 से 24 साल की उम्र के बीच वाले 167 स्मार्टफोन्स यूजर्स को शामिल किया गया, जो रोज अपने डिवाइसेज का लंबे वक्त तक इस्तेमाल कर रहे थे। इनसे कम से कम आठ घंटे के लिए बिस्तर पर जाने को कहा गया और कलाई पर बंधे एक्सेलेरोमीटर की मदद से उनकी स्लीप ऐक्टिविटी रिकॉर्ड की गई। साथ ही स्टडी में शामिल यूजर्स के स्मार्टफोन में फोन यूजेस मॉनीटर करने वाली एक ऐप भी इंस्टॉल करवाई गई।

परिणाम

स्टडी में सामने आई यह बात

यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान प्रोफेसर चैड जेनसन ने पाया कि स्मार्टफोन में नाइट मोड या नाइट शिफ्ट फीचर इस्तेमाल करने का ज्यादा असर यूजर्स की नींद पर नहीं पड़ा। स्टडी से पता चला है कि ब्लू लाइट और स्मार्टफोन ही ऐसे फैक्टर्स नहीं हैं, जिनका असर यूजर्स की नींद पर पड़ता है। जेनसन ने कहा, "अगर आप थके हुए हैं तो आपको किसी भी स्थिति में नींद आ जाएगी लेकिन अगर आप मानसिक रूप से ऐक्टिव हैं, तो आप नहीं सोएंगे।"