आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस: मशीनों के पास अब खुद की समझ, क्या इंसानों को टक्कर देगी AI?
इंसान और मशीनों में बुनियादी फर्क यह है कि मशीनें अपने फैसले खुद नहीं ले सकतीं और उन्हें कमांड्स देने पड़ते हैं। हालांकि, तेजी से बदलती टेक्नोलॉजी के साथ मशीनें इंटेलिजेंट हो गई हैं और जरूरत के मुताबिक अपने फंक्शंस में बदलाव कर सकती हैं। ऐसा आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) के चलते संभव हुआ है। AI के साथ मशीनें तय कर सकती हैं कि उनका इस्तेमाल कब कम या ज्यादा किया जाता है और कौन से फीचर्स ज्यादा काम के हैं।
इंसानों की तरह सीखने की क्षमता
आसान शब्दों में समझें तो AI एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से मशीनों और दूसरे सिस्टम्स में इंसानों की तरह सोचने की क्षमता विकसित की जाती है। पुराने सिस्टम्स और कम्प्यूटर मैनुअल तरीके से फीड किए गए कोड के आधार पर ही आउटपुट देते हैं। वहीं, AI इंसानों की तरह असली अनुभवों से सीख सकती है। AI यूजर्स के व्यवहार और हालात के मुताबिक बदलाव कर सकती है और खुद फैसले ले सकती है।
ऐसे काम करती है AI टेक्नोलॉजी
इंटीग्रेशन विजर्ड्स सॉल्यूशन के CEO कुणाल किसलय ने AI के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कहा कि यह टेक्नोलॉजी इंसानी समझ को कॉपी करती है। उन्होंने बताया, "खुद फैसले लेने की क्षमता मशीनों में बड़े डाटा पैकेट्स और उनके एनालिसिस से तैयार की जाती है। इंसान जहां स्वाभाविक रूप से भाषा, तर्क और अनुभव के आधार पर कोई जरूरी प्रतिक्रिया देते हैं, AI कृत्रिम (आर्टिफिशियल) तरीके से उसे कॉपी करती है।"
इसलिए तैयार की गई AI टेक्नोलॉजी
मोबाइल फोन्स से लेकर स्मार्ट डिवाइसेज तक में AI का मकसद काम करने की क्षमता बढ़ाना और कम-से-कम गलतियां करना है। किसलय ने बताया, सर्च इंजन के एल्गोरिदम से लेकर इंटरप्राइज के ऐप और टूल्स तक AI एक विश्वसनीय और खास फंक्शंस वाली टेक्नोलॉजी बन गई है। उन्होंने कहा, "AI से जुड़ी लागत और इसे सफलतापूर्वक लागू करने में पेश आनी वाली अन्य चुनौतियों के बावजूद AI में इतनी संभावनाएं हैं कि इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।"
हर जगह काम करती है AI
छोटे से छोटे के साथ बड़े और महत्वपूर्ण कामों के लिए AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। चाहे AI कैमरों के साथ मोबाइल फोटोग्राफी हो या फाइनेंशियल असेट मैनेजमेंट जैसा मुश्किल काम हो, AI हर जगह इस्तेमाल हो रही है। कुणाल ने बताया कि इंटरनेट मार्केटिंग से लेकर बिजनेस चलाने तक में AI एल्गोरिद्म से यूजर के बिहेवियर को समझने में मदद मिलती है। इससे मिलने वाले डेटा के आधार पर यूजर एक्सपीरियंस को कस्टमाइज किया जाता है।
AI से जुड़े सर्विलांस सिस्टम
AI पर आधारित सर्विलांस सिस्टम के साथ अस्पतालों, रिटेल स्टोर, वेयरहाउस और एटीएम इत्यादि को हेल्थ, सेफ्टी और सुरक्षा उपलब्ध कराने में मदद मिलती है। दरअसल, AI पर आधारित सिस्टम्स और सॉफ्टवेयर की मदद से चेहरे को डिटेक्ट करना, इलाके की निगरानी, सर्विलांस और डिफॉल्टर्स की पहचान करने वालों का पता लगाने जैसे काम आसानी से किए जा सकते हैं। ऑटोमैटिक तरीके से काम करने वाले कस्टमर सपोर्ट्स चैटबॉट्स भी AI की मदद से काम करते हैं।
समझ पाएगी इंसानी भावनाएं
कुणाल ने बताया कि कई इनोवेटर AI को भावनाओं को समझने में सक्षम बनाने के लिए काम कर रहे हैं। फिलहाल, AI भावनाओं को समझने में सक्षम नहीं है और वह ऐसी बातें नहीं समझ पाती, जिनमें कहा कुछ और जाता है मतलब कुछ और होता है। शोधकर्ता AI टेक्नोलॉजी में इन इमोशन्स को शामिल करने को लेकर काम कर रहे हैं। यानी कि AI भविष्य में इंसानी भावनाएं समझ पाएगी और हो सकता है इन्हें महसूस भी कर पाए।
क्या इंसानों को चुनौती दे सकती है AI?
कुणाल मानते हैं कि AI में इंसानी दिमाग पर काबू पाने की संभावनाएं जरूर मौजूद हैं लेकिन फिलहाल यह खतरा नहीं बनेगी। उन्होंने बताया, "चीजों को विश्लेषण करने और पूर्वानुमान के लिए जिस प्रकार के एल्गोरिद्म की जरूरत होती है, वह इंसानों के पास नहीं है। हालांकि, AI को इंसान की तरह से काम करने के लिए और 20-30 साल लगेंगे। फिलहाल, खुद से चलने वाली कार, सिक्योरिटी सिस्टम, चैटबॉट्स को किसी चुनौती के तौर नहीं देखा जा सकता है।"