
चांद पर भूकंप के झटकों का पता लगा, शोधकर्ताओं को अपोलो 17 लैंडर से मिली जानकारी
क्या है खबर?
चांद पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव और तापमान भिन्नता के कारण छोटी भूकंपीय घटनाएं होती रहती हैं। नासा द्वारा वित्त पोषित एक अध्ययन में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (कैलटेक) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने मशीन-लर्निंग मॉडल के साथ एक भूकंपीय डाटा की दोबारा जांच की। शोधकर्ताओं को पता चला कि चांद के भूकंप सटीक नियमितता के साथ आते हैं। उन्होंने पाया कि भूकंप सूर्य के उदय और फिर धीरे-धीरे अस्त होने के साथ मेल खाता है।
नासा
अपोलो 17 मिशन के चंद्र भूकंपीय डाटा की हुई दोबारा जांच
नासा द्वारा वित्त पोषित अनुसंधना का नेतृत्व कैलटेक से पोस्टडॉक ग्रेजुएट फ्रांसेस्को सिविलिनी ने किया था। सिविलिनी अब नासा मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर में हैं। उनके साथ मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के ग्रह रेनी वेबर और कैलटेक के भूवैज्ञानिक एलन हस्कर भी शामिल हुए। अपने उद्देश्यों के लिए सिविलिनी और उनकी टीम ने मशीन-लर्निंग मॉडल के जरिए अपोलो मिशन 17 के चंद्र भूकंपीय डाटा का दोबारा मशीन-लर्निंग मॉडल से विश्लेषण किया।
चांद
तापमान में परिवर्तन से होते हैं चंद्र भूकंप
वैज्ञानिकों ने पाया कि चांद के भूकंप चांद की पपड़ी (थर्मल भूकंप) में तापमान परिवर्तन के परिणामस्वरूप होते हैं। उन्होंने पाया कि चांद पर वायुहीन वातावरण के चलते सूर्य के प्रकाश से सतह धीरे-धीरे गर्म नहीं होती और वहां सूर्य से होने वाली गर्मी भी बरकरार नहीं रहती। इससे दिन के चरम के दौरान परत 120 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाती है और रात में -133 डिग्री सेल्सियस के निचले स्तर तक गिर जाती है।
घटना
सुबह के भूकंपीय संकेतों का भी पता चला
इस घटना से पपड़ी तेजी से फैलती और सिकुड़ती है, जिससे छोटी भूकंपीय घटनाएं शुरू हो जाती हैं। शोधकर्ताओं को पता चला कि थर्मल भूकंप हर दोपहर सटीक नियमितता के साथ आते हैं क्योंकि सूर्य अपने चरम तापमान को छोड़ देता है और सतह तेजी से ठंडी होने लगती है। उन्होंने सुबह के भूकंपीय संकेतों का भी पता लगाया जो शाम के भूकंपों से अलग थे। सुबह के झटके भूकंपमापी से कुछ सौ मीटर दूर से आ रहे थे।
शोधकर्ता
भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है जानकारी
शोधकर्ताओं ने पाया कि हर सुबह जैसे ही सूरज की रोशनी अपोलो 17 लूनर लैंडर तक पहुंचती थी, उसकी सतह फैलने लगती थी। इससे जमीन में कंपन होता था, जिसका भूकंपीय अरे द्वारा पता लगाया जाता था। यह डाटा नासा के आगामी आर्टिमिस कार्यक्रम सहित चांद से जुड़े भविष्य मिशनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि, धर्मल भूकंप इतने छोटे होते हैं कि चांद की सतह पर किसी के भी द्वारा महसूस नहीं किए जा सकते।
निष्कर्ष
भविष्य के लैंडर और डिवाइसों के लिए उपयोगी हो सकता है निष्कर्ष
शोधकर्ताओं द्वारा निकाले गए निष्कर्ष महत्वपूर्ण डाटा प्रदान करते हैं, जो भविष्य के लैंडर और डिवाइसों के डिजाइन के लिए उपयोगी हो सकते हैं। यह आर्टिमिस बेस कैंप, अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS) और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के प्रस्तावित मून विलेज जैसे भविष्य के ठिकानों की संरचना के बारे में भी जानकारी दे सकता है। इससे स्थानीय भूकंपों से बचने के लिए एलॉय की जगह कंपोजिट मैटेरियल का उपयोग किया जाएगा।
खोज
पानी के बर्फ की हो सकती है तलाश
हस्कर ने कहा कि भूकंपीय गतिविधि आकाशीय पिंडों के अंदरूनी हिस्सों या आंतरिक संरचनाओं का अनुमान लगाने और भूमिगत सामग्री (जैसे पानी की बर्फ) का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां कभी सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती और वे स्थान स्थायी रूप से छाया में रहते हैं। हस्कर के मुताबिक, यदि वहां भूकंपमापी लग सके तो पानी के बर्फ की तलाश की जा सकती है।
जानकारी
चंद्रयान-3 ने भी रिकॉर्ड किया भूकंपीय गतिविधि
भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 ने भी चांद पर चंद्र भूकंपीय गतिविधि को रिकॉर्ड किया। इसने 26 अगस्त, 2023 को एक प्राकृतिक प्रतीत होने वाली घटना को भी रिकॉर्ड किया। हालांकि, उस घटना के बारे में और उसके सोर्स की जांच की जा रही है।
मिशन
न्यूजबाइट्स प्लस
अभी तक चांद की सतह पर रूस, अमेरिका, चीन और भारत पहुंचे हैं। कुछ दिन पहले ही रूस का चांद मिशन लूना-25 चांद की सतह के करीब पहुंचकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें उसका लैंडर नष्ट हो गया। जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) भी हाल ही में अपना चांद मिशन स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) लॉन्च किया है। ऑस्ट्रेलिया ने भी हाल ही में अपने चांद मिशन की घोषणा की है।