दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने की रेस में कैसे पिछड़ गए प्रवेश वर्मा?
क्या है खबर?
8 फरवरी को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, तब प्रवेश वर्मा की सभी दूर चर्चाएं थीं। उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराया था।
इसके बाद से ही माना जा रहा था कि प्रवेश मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। हालांकि, भाजपा विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लग गई और प्रवेश मुख्यमंत्री बनने से पिछड़ गए।
आइए जानते हैं प्रवेश कहां पीछे रह गए।
महिला
रेखा को मिला महिला होने का फायदा
बीते कुछ चुनावों से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद महिलाओं को अलग वोट बैंक के तौर पर साध रहे हैं।
दिल्ली में भी भाजपा समेत सभी पार्टियों ने महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की थीं। ऐसे में रेखा को महिला होने का फायदा मिला।
दिल्ली से पहले भाजपा की 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में सरकार थी, लेकिन कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। ऐसे में रेखा के जरिए एक तीर से कई निशाने साधे गए हैं।
बयान
विवादित बयानों ने बढ़ाई प्रवेश की परेशानी?
प्रवेश विवादित बयानों के चलते चर्चाओं में रहे हैं।
अक्टूबर, 2022 में उन्होंने दिल्ली में विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में एक विशेष समुदाय के बहिष्कार की बात कही थी।
उन्होंने कहा था, ''अगर इनका दिमाग ठीक करना है, इनकी तबीयत ठीक करनी है तो एक ही इलाज है और वो है संपूर्ण बहिष्कार।"
इस बयान के वक्त प्रवेश सांसद थे। माना जाता है कि इस बयान से भाजपा आलाकमान नाराज था।
परिवारवाद
परिवारवाद को लेकर घिर जाती भाजपा
प्रवेश के पिता साहिब सिंह वर्मा दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे हैं। वे 26 फरवरी, 1996 से 12 अक्टूबर, 1998 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे थे।
प्रवेश के चाचा आजाद सिंह भी उत्तर दिल्ली नगर निगम के महापौर रहे हैं।
भाजपा परिवारवाद को लेकर दूसरी पार्टियों को घेरती रही है। ऐसे में डर था कि प्रवेश को मुख्यमंत्री बनाने से विपक्ष को परिवारवाद पर भाजपा को घेरने का मौका मिला जाएगा।
समीकरण
रेखा के पक्ष में ये समीकरण भी
रेखा के साथ महिला होने के अलावा कई समीकरण भी पक्ष में रहे। वे हरियाणा से आती हैं और वैश्य समुदाय से हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी हरियाणा से आते हैं और इसी समुदाय से हैं।
रेखा की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से नजदीकी रही है और वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से आती हैं। इससे कार्यकर्ताओं को भी संदेश गया है कि पार्टी मेहनत करने वालों का सम्मान करती है।