देशभर में अगले महीने शुरू हो सकती है SIR की प्रक्रिया, चुनाव आयोग ने की तैयारी
क्या है खबर?
पूरे देश में अगले हफ्ते से मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। चुनाव आयोग ने इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं और जल्द ही इसका पहला चरण शुरू हो सकता है। शुरुआत में 10 से 15 राज्यों में ये प्रक्रिया होगी, जिसे धीरे-धीरे पूरे देश में किया जाएगा। पहले उन राज्यों में SIR होगा, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ताकि वहां जल्द काम पूरा हो सके।
राज्य
अगले हफ्ते तक हो सकती है आधिकारिक घोषणा
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए इन राज्यों में पहले SIR की प्रक्रिया की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि चुनाव आयोग अगले हफ्ते तक SIR के शुरुआती चरण की घोषणा कर सकता है, जिसमें 15 राज्य शामिल होंगे। जिन जगहों पर स्थानीय निकाय चुनाव चल रहे हैं या होने वाले हैं फिलहाल वहां ये प्रक्रिया नहीं की जाएगी।
तैयारी
चुनाव आयोग ने की बैठकें
चुनाव आयोग ने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) के साथ बैठकें की हैं। कई राज्यों ने पिछली SIR के बाद प्रकाशित मतदाता सूचियां वेबसाइट पर अपलोड कर दी हैं। दिल्ली की CEO वेबसाइट पर 2008 की और उत्तराखंड ने भी 2006 की मतदाता सूची अपलोड कर दी है। इन राज्यों में आखिरी बार इन्हीं सालों में SIR की प्रक्रिया हुई थी। बता दें कि पिछली SIR का साल नई प्रक्रिया के लिए कट-ऑफ के तौर पर काम करता है।
तमिलनाडु
तमिलनाडु में एक हफ्ते के भीतर शुरू होगी प्रक्रिया
चुनाव आयोग ने 24 अक्टूबर को मद्रास हाईकोर्ट को बताया है कि तमिलनाडु में SIR की प्रक्रिया एक हफ्ते के भीतर शुरू होगी। ये जानकारी पूर्व AIADMK विधायक बी सत्यनारायणन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दी गई, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को टी नगर निर्वाचन क्षेत्र के 229 मतदान केंद्रों का पूर्ण और पारदर्शी पुनरीक्षण करने का निर्देश देने की मांग की थी। आयोग ने कहा कि इसके बाद सत्यनारायणन की शिकायत का प्रभावी समाधान हो जाएगा।
बिहार
बिहार में पूरी हो चुकी है प्रक्रिया
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले SIR की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 24 जून को शुरू हुई इस प्रक्रिया के तहत घर-घर जाकर मतदाताओं का वेरिफिकेशन किया गया, फिर दस्तावेज लिए गए और मसौदा सूची प्रकाशित की गई। प्रक्रिया शुरू होने से पहले बिहार में 7.8 करोड़ मतदाता थे। इनमें से करीब 65 लाख के नाम कट गए हैं। बिहार में इस प्रक्रिया पर खूब राजनीतिक विवाद भी हुआ था।