
महाराष्ट्र: साथ आएंगे ठाकरे बंधु? राज ने कहा- मतभेद छोटी बात, उद्धव ने भी दिए संकेत
क्या है खबर?
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। खबरें हैं कि 19 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक बार फिर साथ आ सकते हैं। दोनों नेताओं की ओर से इसके संकेत मिले हैं।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि हमारे बीच राजनीतिक मतभेद हैं, विवाद हैं, झगड़े हैं, लेकिन यह सब महाराष्ट्र के आगे बहुत छोटी चीज हैं।
वहीं, उद्धव ने भी इसी तरह का बयान दिया है।
राज
राज ठाकरे ने क्या कहा?
फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ किए पॉडकास्ट में राज ने कहा, "उद्धव और मेरे बीच विवाद और झगड़े मामूली हैं। महाराष्ट्र इन सबसे कहीं बड़ा है। ये मतभेद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए महंगे साबित हो रहे हैं। एक साथ आना मुश्किल नहीं है, यह इच्छाशक्ति का मामला है। यह सिर्फ मेरी इच्छा या स्वार्थ की बात नहीं है। हमें बड़ी तस्वीर देखने की जरूरत है। सभी मराठी लोगों को एकजुट होकर एक पार्टी बनानी चाहिए।"
उद्धव
राज के बयान पर उद्धव ने क्या कहा?
उद्धव ने कहा, "मैं छोटे-मोटे विवादों को अलग रखने के लिए तैयार हूं। मैं सभी मराठी लोगों से महाराष्ट्र के हित में एकजुट होने की अपील करता हूं। समस्या ये है कि हम पक्ष बदलते नहीं रह सकते। एक दिन उनका समर्थन करते हैं, दूसरे दिन विरोध करते हैं और फिर समझौता कर लेते हैं। जो कोई भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करता है, मैं उनका स्वागत नहीं करूंगा, उन्हें घर नहीं बुलाऊंगा, उनके साथ नहीं बैठूंगा।"
शर्त
उद्धव ने रखी ये शर्त?
उद्धव ने आगे कहा, "हमने अपने मतभेद सुलझा लिए हैं, लेकिन पहले यह तय कर लें कि किसके साथ जाना है। मराठी हित में आप किसके साथ जाएंगे, यह तय कर लीजिए। फिर बिना शर्त समर्थन दीजिए या विरोध कीजिए, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मेरी एकमात्र शर्त महाराष्ट्र का हित है, लेकिन बाकी लोगों को, इन चोरों को, उनसे न मिलने की शपथ लेनी चाहिए, जाने-अनजाने में उनका समर्थन या प्रचार नहीं करना चाहिए।"
विवाद
शिवसेना से क्यों अलग हुए थे राज ठाकरे?
राज शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के भतीजे हैं। एक वक्त में राज की शिवसेना में नंबर 2 की हैसियत थी। माना जाता था कि आगे चलकर राज ही पार्टी की कमान संभालेंगे।
हालांकि, बालासाहेब द्वारा उद्धव को उत्तराधिकारी घोषित करने के फैसले से नाराज होकर राज ने 27 नवंबर, 2005 को शिवसेना से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी 'महाराष्ट्र नव निर्माण सेना' बनाई।
हालिया समय में दोनों नेताओं ने साथ आने के संकेत दिए हैं।
हिंदी
दोनों के साथ आने की क्यों लग रही हैं अटकलें?
2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों ने खराब प्रदर्शन किया था। उद्धव की पार्टी को सिर्फ 20 और राज की MNS को एक भी सीट नहीं मिली थी।
इस साल महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव भी होना है। उससे पहले पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी है।
दोनों नेताओं ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें सभी स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाया गया है।