मणिपुर: राहुल गांधी हेलीकॉप्टर के जरिए चुराचांदपुर पहुंचे, राहत शिविर में बच्चों के साथ खाया खाना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को हिंसाग्रस्त मणिपुर के चुराचांदपुर जिले का दौरा किया। उन्होंने हिंसा के बाद राहत शिविरों में रह रहे विस्थापित लोगों से मुलाकात की और बच्चों के साथ खाना भी खाया। राहुल पहले सड़क के रास्ते चुराचांदपुर जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनके काफिले को राजधानी इंफाल से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित बिष्णुपुर में रोक लिया था। इसके बाद उन्हें हेलीकॉप्टर से राहत शिविरों के पास पहुंचाया गया।
मैं मणिपुर के लोगों की बात सुनने आया हूं- राहुल
राहुल ने चुराचांदपुर पहुंचने पर अपने काफिले को रोके जाने की एक वीडियो ट्विटर पर शेयर की। उन्होंने लिखा, 'मैं मणिपुर के अपने सभी भाइयों-बहनों की बात सुनने आया हूं। सभी समुदायों के लोग बहुत स्वागत और प्रेम कर रहे हैं।' उन्होंने मणिपुर सरकार पर निशाना साधते हुए आगे लिखा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार मुझे रोक रही है। मणिपुर को देखभाल की जरूरत है। शांति हमारी एकमात्र प्राथमिकता होनी चाहिए।'
यहां देखें वीडियो
पुलिस ने बताया, क्यों रोका था राहुल का काफिला
पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए राहुल के काफिले को रोक दिया था। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि राहुल के रास्ते में महिलाओं का एक बड़ा समूह नारेबाजी कर रहा था और हिंसा की आशंका के चलते उन्हें आगे नहीं जाने दिया गया। दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि यह महिलाएं राहुल से मिलने के लिए उनका इंतजार कर रही थीं और वे नहीं चाहती थीं कि राहुल वापस जाएं।
सरकार हिंसा रोकने की जगह राहुल को रोक रही है- कांग्रेस
कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने राहुल के दौरे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "मणिपुर हिंसा को 2 महीने हो गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने हिंसा की भर्त्सना और शांति की अपील नहीं की। गृह मंत्री के दौरे के बाद हिंसा और बढ़ गई।" उन्होंने कहा, "जब हिंसा रोकनी है, तब आप राहुल को रोक रहे हैं। इतिहास साक्षी है कि राहुल जहां जाने के लिए निकलते हैं, वहां पहुंचते जरूर हैं।"
भाजपा बोली- राहुल को होना चाहिए अधिक जिम्मेदार
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि प्रशासन ने राहुल के खिलाफ लोगों का विरोध का हवाला देते हुए उन्हें हेलीकॉप्टर से जाने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी। पात्रा ने आगे कहा, " राहुल और जिम्मेदारी कभी एक साथ नहीं चल सकते हैं। यही बात उन्होंने आज फिर साबित कर दी है। उन्हें मणिपुर के मुद्दे के प्रति अधिक जिम्मेदार और अधिक संवेदनशील होना चाहिए था।"
मणिपुर में 3 मई को भड़की थी हिंसा
मणिपुर हाई कोर्ट ने मार्च में मणिपुर सरकार से गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की याचिका पर विचार करने को कहा था। इसका कुकी आदिवासियों ने विरोध किया और उनकी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को हिंसा भड़क गई थी। उसके बाद से ही मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है और यहां 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।