कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे 16 विपक्षी दल
कल से शुरू होने वाले बजट सत्र से पहले विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "हम 16 राजनीतिक दलों से बयान जारी कर रहे हैं कि हम राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार कर रहे हैं जो कल संसद में दिया जाएगा। इसके पीछे प्रमुख कारण है कि कृषि बिलों को विपक्ष के बिना सदन में जबरन पारित किया गया था।"
विपक्ष ने की कानून वापस लेने की मांग
विपक्षी नेताओं का कहना है कि वो किसान आंदोलन के समर्थन में खड़े हैं और सरकार से तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं। इन नेताओं ने कहा कि ये कानून राज्यों के अधिकारों का हनन थे और संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन करते हैं। उनका कहना है कि सरकार बिना किसी विचार-विमर्श के ये कानून लेकर आई है। इसके लिए कोई परामर्श नहीं किया गया है और विपक्ष को भी भरोसे में नहीं लिया गया था।
ये पार्टियां करेंगी अभिभाषण का बहिष्कार
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, तृणमूल कांग्रेस, DMK, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, CPI (M), केरल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, PDP, MDMK समेत 16 पार्टियां राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कानून वापस लिए जाने की मांग की है। उन्होंने राज्य विधानसभा में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को सर्वदलीय बैठक बुलाकर कानून रद्द करने को लेकर चर्चा करनी चाहिए।
सत्र के हंगामेदार रहने के आसार
इस बार बजट सत्र हंगामेदार रह सकता है। कांग्रेस किसान आंदोलन के मुद्दे को संसद में प्रमुखता से उठाएगी। कांग्रेस ने किसानों के मुद्दे पर संसद में चर्चा और बहस करने के लिए स्थगन प्रस्ताव जैसे विकल्पों के इस्तेमाल की भी बात कही है।
कल से शुरू हो रहा है बजट सत्र
संसद का बजट सत्र कल यानी 29 जनवरी से शुरू हो रहा है। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी। परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों को संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करेंगे, जिसके बाद बजट सत्र की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। बजट सत्र दो हिस्सों में पूरा होगा। इसका पहला चरण 29 जनवरी से शुरू होकर 15 फरवरी तक चलेगा और दूसरा हिस्सा 8 मार्च से 8 अप्रैल तक चलेगा।
क्या है कृषि कानूनों के विरोध का मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।