अगले दो सालों में छह राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ेगी आम आदमी पार्टी
अगले दो सालों में आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह ऐलान किया है। केजरीवाल ने यह घोषणा ऐसे समय की है, जब पार्टी दिल्ली में अपनी पकड़ बेहद मजबूत करने के बाद पिछले काफी समय से देशभर में अपना विस्तार करने की योजना बना रही है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
2014 लोकसभा चुनाव भी लड़ चुकी है पार्टी
अन्ना हजारे के आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी की स्थापना 2 अक्टूबर 2012 को और औपचारिक शुरुआत 26 नवंबर 2012 को हुई थी। स्थापना के एक साल के समय के भीतर पार्टी ने पहले विधानसभा चुनाव में 70 में से 28 सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई। हालांकि, यह सरकार 49 दिन ही चली। पार्टी ने 2014 में 434 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसे महज चार सीटों पर जीत मिली।
दिसंबर में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने का किया था ऐलान
गुरुवार को दिल्ली में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी अगले दो सालों में छह राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इससे पहले दिसंबर में केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
"देशभर में आम आदमी पार्टी के कामों की चर्चा"
केजरीवाल ने कहा कि देशभर में लोग आम आदमी पार्टी के कामों के बारे में बात कर रहे हैं। देश में हर जगह लोग दिल्ली की तरह बिजली-पानी पर सब्सिडी और जन कल्याणकारी योजनाएं चाहते हैं। उन्होंने कहा, "हमें इस खाली जगह को भरना है। इसके लिए हमें एक मजबूत संगठन बनाना होगा। अगले दो सालों में हमारी पार्टी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब, हिमाचल और गुजरात में चुनाव लड़ेगी। लोग तैयार है और हमें बस उन तक पहुंचना है।"
बनाए जा रहे राज्यों के प्रभारी
बता दें कि पार्टी पहले ही पंजाब और गोवा में विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है। पंजाब में पार्टी को अच्छी कामयाबी भी मिली थी। हाल ही में पार्टी ने कश्मीर और गोवा में पंचातय चुनावों में मामूली सफलता हासिल की है। इसके अलावा पार्टी ने पहले से ही अपने नेताओं को राज्यों की जिम्मेदारियां देना शुरू कर दिया है। राघव चड्ढा को पंजाब, दिनेश मोहनिया को उत्तराखंड और आतिशी को गुजरात में पार्टी के विस्तार की जिम्मेदारी दी गई है।
केजरीवाल ने ट्रैक्टर परेड की हिंसा को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
इस मौके पर केजरीवाल ने 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण थी। इसके लिए जो भी असली जिम्मेदार है उसको सख्त सजा मिलनी चाहिए, लेकिन उस दिन की हिंसा से किसानों के मुद्दे खत्म नहीं हो गए हैं। किसानों की समस्या आज भी जस की तस है। जब देश का किसान दुखी है तो देश खुश नहीं हो सकता।