
तुरंत दखल दे केंद्र सरकार नहीं तो हिंदू-विहीन हो जाएगा कश्मीर- फारूक अब्दुल्ला
क्या है खबर?
कश्मीर पंडितों की लक्षित हत्याओं के बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बड़ी चेतावनी दी है।
उन्होंने कहा कि घाटी में फिर से 1990 के दशक जैसी स्थिति बन रही है और केंद्र सरकार ने जल्द ही कोई कदम नहीं उठाए तो कश्मीर 100 प्रतिशत हिंदू-विहीन हो जाएगा।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से तत्काल मामले में दखल देने की अपील की है।
बयान
फारूक अब्दुल्ला ने क्या कहा?
इंडिया टुडे से खास बातचीत करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, "अगर मामले में तुरंत कुछ नहीं किया जाता है तो आने वाले दिनों में कश्मीर 100 प्रतिशत हिंदू-विहीन हो जाएगा। कश्मीरी पंडितों के लिए फिर से 1990 जैसी स्थिति बन गई है... प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को तत्काल मामले में दखल देनी चाहिए। इसी के साथ कश्मीरी पंडितों की लक्षित हत्याओं और अल्पसंख्यक हिंदुओं के विस्थापन पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए।"
हमले
इस साल तीन कश्मीरी पंडितों की हत्या कर चुके हैं आतंकी
बता दें कि इस साल कश्मीर में आतंकियों ने 22 लोगों की लक्षित हत्याएं की गई हैं जिनमें तीन कश्मीरी पंडित शामिल हैं।
16 अक्टूबर को शोपियां के चौधरीगुंड गांव में कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट की हत्या कर दी गई थी। इससे 16 अगस्त को शोपियां में ही एक कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई थी।
वहीं 12 मई को आतंकियों ने बडगाम में तहसीलदार के दफ्तर में घुसकर राहुल भट की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
विस्थापन
दहशत के कारण कश्मीर छोड़ कर जा रहे कश्मीरी पंडित
इन लक्षित हत्याओं के कारण कश्मीरी पंडित दहशत में हैं और पिछले कुछ महीनों में कश्मीरी पंडितों के कम से कम 17 परिवार घाटी छोड़ चुके हैं।
सोमवार को ही कश्मीरी पंडितों के 10 परिवार दक्षिण कश्मीर के शोपियां के चौधरीगुंड गांव को छोड़कर जम्मू चले गए।
कृष्ण भट की हत्या के बाद उन्होंने यह फैसला लिया। इन पंडितों ने 1990 के दशक के मुश्किल समय में भी कश्मीर नहीं छोड़ा था, लेकिन अब उन्हें मजबूर होना पड़ा।
राजनीति
केंद्र की भाजपा सरकार पर उठ रहे सवाल, विपक्ष हमलावर
मामले में केंद्र की भाजपा सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं और वह विपक्ष के निशाने पर है।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी मामले में सरकार पर निशाना साधा है। ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, 'इस साल, कश्मीर में 30 लक्षित हत्याएं हो चुकी हैं। पंडितों का पलायन तेजी से बढ़ रहा है... सत्ता में आने से पहले बड़ी-बड़ी बातें करने वाले प्रधानमंत्री सत्ता भोग रहे हैं और कश्मीरी पंडित अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए हैं।'
कश्मीरी पंडितों का पलायन
न्यूजबाइट्स प्लस
1990 के दशक में आतंकी हमलों और नरसंहार की धमकियों के कारण कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।
तब एक लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ था, लेकिन उनके लगभग 800 परिवारों ने अपने पूर्वजों की जमीन को नहीं छोड़ा था।
अभी इनमें से 600 परिवार शोपियां, अनंतनाग, कुलगाम और पुलवामा में रहते हैं, वहीं 200 परिवार केंद्रीय कश्मीर में रहते हैं। उत्तर कश्मीर में भी कश्मीरी पंडितों के लगभग 25 परिवार रहते हैं।