#NewsBytesExplainer: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक OBC को तवज्जो देने की क्या वजह?
क्या है खबर?
मध्य प्रदेश में भाजपा की नवनिर्वाचित सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है। सोमवार को आधिकारिक रूप से 28 नए मंत्रियों ने मंत्रीपद की शपथ ले ली है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव के मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा ने जातीय समीकरण साधने की भी पूरी कोशिश की और 12 मंत्री अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से बनाए गए हैं।
आइए जानते हैं भाजपा के मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक OBC चेहरों को आगे करने के पीछे क्या गणित है।
जानें
सबसे पहले जानें किन OBC चेहरों को मंत्रिमंडल में मिली जगह
मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में 12 OBC विधायकों को जगह मिली है।
इनमें प्रह्लाद पटेल, कृष्णा गौर, इंदर सिंह परमार, नरेंद्र शिवजी पटेल, लखन पटेल, एंदल सिंह कंसाना, नारायण सिंह कुशवाहा, धर्मेंद्र लोधी, नारायण पवार, राव उदय प्रताप और धर्मेंद्र लोधी का नाम शामिल है।
इसके अलावा प्रदेश में जातीय समीकरण साधने के लिए सामान्य जाति से 7, अनुसूचित जाति (SC) से 5 और अनुसूचित जनजाति (ST) से 4 विधायकों को मंत्री बनाया गया है।
तवज्जो
मध्य प्रदेश में OBC चेहरों को तवज्जो क्यों?
भाजपा ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है और वे OBC समुदाय से आते हैं। राज्य की 52 प्रतिशत आबादी OBC समुदाय की है।
OBC वोटबैंक की बदौलत ही भाजपा मध्य प्रदेश चुनाव में 230 में से 163 सीटें (दो-तिहाई बहुमत) जीतने में सफल रही है। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा इस वोटबैंक बनाए रखना चाहती है।
यही कारण है सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में भी OBC चेहरों को तवज्जो दी गई है।
समीकरण
भाजपा ने मध्य प्रदेश के बहाने कैसे साधे जातीय समीकरण?
भाजपा ने मध्य प्रदेश में जातीय समीकरण साधने के लिए OBC मुख्यमंत्री के साथ दलित समुदाय के जगदीश देवड़ा और ब्राह्मण समुदाय के राजेंद्र शुक्ला को उपमुख्यमंत्री बनाया था।
मंत्रिमंडल विस्तार में अब OBC समेत अन्य सभी वर्गों को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है।
इसके अलावा भाजपा मध्य प्रदेश के बहाने लोकसभा चुनाव में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण OBC बहुल राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार पर अपनी नजर बनाए हुए है, जिनमें 120 लोकसभा सीटें है।
चुनाव
लोकसभा चुनाव से पहले OBC चेहरों को आगे करने क्या है वजह?
लोकसभा चुनाव में OBC वोटबैंक निर्णायक भूमिका अदा करता आया है, इसलिए विपक्षी गठबंधन INDIA भाजपा को OBC विरोधी साबित करने की कोशिश में है। इसकी काट के लिए भाजपा ने यादव और अन्य OBC चेहरों को आगे किया है।
इससे न केवल भाजपा खुद को OBC हितैषी साबित कर पाएगी, बल्कि वह इन OBC चेहरों के जरिए अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल के वोटबैंक में भी सेंधमारी कर सकेगी।
चुनाव
पिछले लोकसभा चुनावों में OBC वोटबैंक ने क्या निभाई भूमिका?
OBC वोटबैंक कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने में OBC की भूमिका अहम रही थी।
2019 लोकसभा चुनाव में 40 प्रतिशत OBC मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया था।2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था और उसे 34 प्रतिशत OBC वोट मिले थे।
इसी साल भाजपा की सत्ता में वापसी हुई थी।
तस्वीर
2024 लोकसभा चुनाव में OBC वोटबैंक कितना अहम?
आगामी लोकसभा चुनाव में OBC समुदाय जिस भी गठबंधन का साथ देगा, वो सत्ता के बेहद करीब पहुंच जाएगा। इसी कारण विपक्षी गठबंधन INDIA भाजपा की 'हिंदुत्व की राजनीति' की काट OBC के मुद्दे उठाकर करना चाहती है।
विपक्ष की जातिगत जनगणना कराकर OBC को आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग यह साबित करती है।
अगर विपक्ष चुनाव में भाजपा का OBC वोट खिसकाने में कामयाब रहता है तो इससे उसे बड़ा नुकसान होना तय है।