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#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में क्या बदला, जिससे खुश हुआ रूस और भड़का यूरोप?
अमेरिका ने नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी की है

#NewsBytesExplainer: अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में क्या बदला, जिससे खुश हुआ रूस और भड़का यूरोप?

लेखन आबिद खान
Dec 07, 2025
05:57 pm

क्या है खबर?

हाल ही में अमेरिका ने अपने बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) जारी की है। इसमें पश्चिमी गोलार्ध में अमेरिकी प्रभुत्व को स्थापित करने और यूरोप के भीतर 'प्रतिरोध को बढ़ावा देने' का आह्वान किया गया है। साथ ही रूस के साथ 'रणनीतिक स्थिरता' को फिर से स्थापित करने की बात कही गई है। NSS जारी होते ही यूरोप से लेकर रूस तक हलचल मच गई है। आइए हर बड़ी बात समझते हैं।

नीति

'अमेरिका प्रथम' पर आधारित है नई नीति

अमेरिकी प्रशासन ने 33 पन्नों का दस्तावेज जारी किया है, जो 'लचीले यथार्थवाद' और 'अमेरिका प्रथम' के सिद्धांत पर आधारित है। इसके मुताबिक अब अमेरिका की विदेश नीति केवल उसके हितों पर ही आधारित होगी और इसका एकमात्र मापदंड होगा कि अमेरिका वही करेगा, जो उसके लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी प्रस्तावना में लिखा है, "यह दस्तावेज यह सुनिश्चित करने का रोडमैप है कि अमेरिका मानव इतिहास का सबसे महान और सफल राष्ट्र बना रहे।"

NSS

क्या होती है NSS?

आमतौर पर हर अमेरिकी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल में एक बार औपचारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी करता है। यह भविष्य की नीतियों और बजट के लिए एक रूपरेखा तैयार करती है और दुनिया को यह संदेश देती है कि अमेरिका और उसके नीति निर्माताओं की आने वाले सालों में क्या प्राथमिकताएं रहने वाली हैं। इसमें देश के विजन और लक्ष्यों के साथ घरेलू और बाहरी चुनौतियां और उनसे निपटने के उपाय शामिल होते हैं।

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यूरोप

20 साल में खत्म हो जाएगा यूरोप- रिपोर्ट

NSS में कहा गया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो 20 साल या उससे भी कम समय में यूरोप का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। दस्तावेज में कहा गया है, "यह स्पष्ट नहीं है कि कुछ यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाएं और सेनाएं इतनी मजबूत होंगी कि वे विश्वसनीय सहयोगी बने रह सकें।" इसके पीछे आव्रजन नीतियों, जन्म दर में गिरावट और अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी को वजह बताया गया है।

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यूरोप की अन्य बातें

दस्तावेज में यूरोप को लेकर और क्या-क्या कहा गया है?

दस्तावेज में 'देशभक्त यूरोपीय पार्टियों' के बढ़ते प्रभाव की सराहना की गई है और कहा गया है कि 'अमेरिका यूरोप में अपने राजनीतिक सहयोगियों को इसके पुनरुत्थान को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है।' अमेरिका ने यूरोपीय संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों पर ऐसी गतिविधियां चलाने का आरोप लगाया है, जो राजनीतिक स्वतंत्रता और संप्रभुता को कमजोर करती हैं। NSS में कहा गया है कि अगर यूरोप को अमेरिका का विश्वसनीय सहयोगी बने रहना है तो नीतियां बदलनी होंगी।

रूस

रूस को 'खतरा' नहीं कहेगा अमेरिका

नीति में जहां यूरोप पर सख्ती बरती गई है, वहीं रूस के प्रति नरम भाषा का इस्तेमाल किया गया है। अमेरिका अब रूस को 'खतरा' नहीं मानेगा साथ ही रूस के साथ फिर से रणनीतिक स्थिरता बहाल करने की इच्छा जताई गई है, ताकि परमाणु हथियारों की होड़ और यूरोप में बड़े युद्ध का खतरा कम हो। दस्तावेज में कहा गया है कि यूरोप में रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर 'आत्मविश्वास' की कमी है।

मध्य-पूर्व

मध्य-पूर्व को अपने हाल पर छोड़ेगा अमेरिका

मध्य-पूर्व को लेकर कहा गया है कि यह क्षेत्र अब अमेरिकी नीति का केंद्र बिंदु नहीं रहा। दस्तावेज में कहा गया है कि मध्य-पूर्व तेजी से अंतरराष्ट्रीय निवेश का स्रोत और गंतव्य बन जाएगा। इनमें तेल और गैस के अलावा परमाणु ऊर्जा, AI और रक्षा प्रौद्योगिकियां जैसे क्षेत्र शामिल हैं। बता दें कि ट्रंप ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण निजी निवेश किया है और इस साल कई मध्य-पूर्वीय देशों का दौरा किया था।

प्रतिक्रिया

यूरोपीय नेता भड़के, रूस ने किया स्वागत

रूसी प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने कहा, "अमेरिका ने रूस को सीधा खतरा कहना बंद कर दिया है और रणनीतिक स्थिरता के मुद्दे पर सहोयग की बात की है। यह अच्छा कदम है।" वहीं, बर्लिन में बोलते हुए जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने कहा कि अमेरिका NATO गठबंधन में हमारा सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी था और रहेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि आंतरिक मामलों पर जर्मनी को 'बाहरी सलाह' की जरूरत नहीं है।

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