पैकेट वाले खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक रंग का इस्तेमाल है आम, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ हमेशा से पैकेट वाले भोजन को अस्वास्थ्यकर बताते आए हैं। उनमें प्रिजर्वेटिव से लेकर अधिक चीनी तक, कई ऐसी सामग्रियां मिलाई जाती हैं, जो उनके पोषण को घटा देती हैं। हालांकि, अब एक नए अध्ययन के जरिए पता चला है कि अमेरिका में मिलने वाले पैकेट वाले खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक खाद्य रंगों का इस्तेमाल बेहद आम है। आइए इस अहम अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अध्ययन
3 संस्थाओं ने मिलकर पूरा किया यह अध्ययन
इस अध्ययन को जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना और सेंटर फॉर साइंस इन पब्लिक इंटरेस्ट के शोधकर्ताओं ने मिलकर पूरा किया है। इसे जर्नल ऑफ द एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया है। इसके जरिए सामने आया है कि पैकेट वाले लगभग 19 प्रतिशत खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में सिंथेटिक खाद्य रंग मिलाए जाते हैं, जिससे उत्पाद और आकर्षक बन जाते हैं।
जांच
39,763 दुकानों पर बिकने वाले खाद्य पदार्थों की हुई जांच
इस अध्ययन के लिए अमेरिका के 39,763 ग्रोसरी स्टोर यानि किराने की दुकानों पर बिकने वाले उत्पादों की सामग्री की जांच की गई थी। शोधकर्ताओं ने शीर्ष 25 अमेरिकी खाद्य निर्माताओं द्वारा उत्पादित पैकेट वाले खाद्य और पेय पदार्थों का डाटा इखट्टा किया। उन्होंने खास तौर से शीर्ष 5 खाद्य श्रेणियों वाले उत्पादों की जांच की, जो अक्सर बच्चों को पसंद आते हैं। इनमें टॉफी-चॉकलेट, मीठे पेय, तैयार भोजन, सीरियल्स और केक, कुकी व पेस्ट्री जैसे बेक्ड सामान शामिल थे।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
इन 5 श्रेणियों के उत्पादों में सिंथेटिक रंग होने की संभावना सबसे अधिक थी। बाकि श्रेणियों में सिंथेटिक रंग केवल 11 प्रतिशत था, वहीं इन 5 में उसकी मौजूदगी 28 प्रतिशत पाई गई थी। इसके अलावा, सिंथेटिक रंग वाले उत्पादों में औसत चीनी सामग्री बिना रंग वाले उत्पादों की तुलना में 141 प्रतिशत ज्यादा थी। इन उत्पादों में शामिल जीवंत रंग और चीनी बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी को बीमार करने के लिए काफी है।
उत्पाद
सिंथेटिक रंग के जोखिम जानने के बाद भी नहीं बंद हो रहा इस्तेमाल
द जॉर्ज इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता डॉ. एलिजाबेथ डनफोर्ड ने कहा कि खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक रंगों की निरंतर उपस्थिति चिंता का कारण है। उन्होंने कहा, "पिछले 40 सालों में सिंथेटिक रंगों के स्वास्थ्य संबंधी नुकसानों की ओर इशारा करने वाले साक्ष्यों के बावजूद यह देखना निराशाजनक है कि वे अभी भी खाद्य पदार्थों में इतने प्रचलित हैं।" कन्फेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा सिंथेटिक रंग होते हैं, जिनमें फेरेरो (60 प्रतिशत) और मार्स (52 प्रतिशत) सबसे आगे हैं।
सिंथेटिक रंग
सिंथेटिक रंग बन सकते हैं कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण
सिंथेटिक रंगों को शामिल करके कंपनियां अपने उत्पादों को आकर्षक दिखाने का प्रयास करती हैं। ये खास तौर से बच्चों के लिए बनाए गए उत्पादों में इस्तेमाल होती हैं, ताकि वे रंगों की और आकर्षित हो कर उन्हें खाएं। ये रंग तनाव और ध्यान न लगा पाने जैसी व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं या मधुमेह जैसी स्थितियों का कारण बन सकते हैं। शोधकर्ता कहते हैं कि अमेरिकी खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक रंग पूरी तरह से अनावश्यक हैं।