
पश्चिमी घाट में पाए जाते हैं ये 5 अनोखे जानवर, एक बार जरूर देखें
क्या है खबर?
पश्चिमी घाट भारत के दक्षिणी भाग में फैला एक पर्वतीय श्रृंखला है, जो अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है।
यहां कई दुर्लभ और अनोखे जानवर पाए जाते हैं। इन जीवों में से कुछ तो केवल इसी क्षेत्र में मिलते हैं। पश्चिमी घाट की हरी-भरी वादियां और ठंडी जलवायु इन जीवों के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करती हैं।
आइए आज हम आपको पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले पांच अनोखे जानवरों के बारे में बताते हैं।
#1
लायन-टेल्ड मकाक
लायन-टेल्ड मकाक एक प्रकार का बंदर है, जो पश्चिमी घाट में पाया जाता है। इसकी खासियत इसकी पूंछ है, जो शेर की तरह दिखती है।
यह बंदर मुख्य रूप से घने जंगलों में रहता है और फल-सब्जियों पर निर्भर रहता है। लायन-टेल्ड मकाक सामाजिक जानवर होते हैं और झुंड में रहते हैं।
इनका झुंड अक्सर पेड़ों पर कूदते-फांदते नजर आता है, जिससे इनकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है।
#2
नीलगिरी हिरण
नीलगिरी हिरण एक प्रकार का हिरण है, जो केवल नीलगिरी पहाड़ियों में पाया जाता है।
इनकी पहचान इनकी नीली-सफेद धारियों से होती है, जो इन्हें अन्य हिरणों से अलग बनाती हैं।
नीलगिरी का हिरण घास और पौधों पर चरते हैं और इन्हें खुले मैदानों में देखना आम बात है।
इनकी सुंदरता और अनोखी बनावट इन्हें देखने लायक बनाती है। इनका संरक्षण बहुत जरूरी है क्योंकि इनकी संख्या घट रही है।
#3
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी कहलाता है, जो पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
यह पक्षी अपनी विशालता और लंबे पैरों के लिए जाना जाता है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड मुख्य रूप से खुले मैदानों में घूमता है और छोटे जीव-जंतुओं का भोजन करता है।
इनकी संख्या बेहद कम होती जा रही है इसलिए इनका संरक्षण बहुत जरूरी है ताकि इनकी प्रजाति बची रह सके।
#4
स्टाररी स्काई बीटल
स्टाररी स्काई बीटल एक प्रकार की दीमक होती है, जो पश्चिमी घाट की लकड़ियों में पाई जाती है।
इनकी पहचान इनके लंबे सींगों से होती है, जो इन्हें अन्य दीमकों से अलग बनाते हैं।
स्टाररी स्काई बीटल लकड़ी को काटकर अपना घर बनाते हैं और इन्हें देखना बहुत ही रोचक होता है। इनकी अनोखी बनावट और व्यवहार इन्हें देखने लायक बनाते हैं।
#5
स्लेंडर लोरिस
स्लेंडर लोरिस एक छोटे आकार का जानवर होता है, जो पश्चिमी घाट के घने जंगलों में पाया जाता है।
इनकी पहचान इनके लंबे हाथों और पैरों से होती है, जो इन्हें अन्य जानवरों से अलग बनाते हैं।
स्लेंडर लोरिस मुख्य रूप से रात को सक्रिय रहता है और फल-सब्जियों पर निर्भर रहता है। इनकी अनोखी बनावट और व्यवहार इन्हें देखने लायक बनाते हैं।