
मणिपुर के जश्न का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं ये संगीत वाद्ययंत्र
क्या है खबर?
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य में स्थित मणिपुर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां के संगीत वाद्ययंत्रों में एक खास जगह है। ये वाद्ययंत्र न केवल मणिपुर की संस्कृति का हिस्सा हैं, बल्कि दुनिया भर में अपनी अनोखी धुनों और शिल्पकला के लिए भी मशहूर हैं। आइए मणिपुर के पांच प्रमुख संगीत वाद्ययंत्रों के बारे में जानते हैं।
#1
पुंग
पुंग मणिपुर का एक प्रमुख संगीत वाद्ययंत्र है। यह एक प्रकार का ढोलक है, जिसे लकड़ी से बनाया जाता है। पुंग को विशेष रूप से मणिपुरी नृत्य 'स्नाक' के दौरान बजाया जाता है। इसे बजाने के लिए दोनों हाथों का उपयोग किया जाता है और यह बहुत तेज आवाज उत्पन्न करता है। पुंग की ध्वनि स्नाक नृत्य प्रदर्शन के दौरान एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है।
#2
करताल
करताल एक प्रकार का वाद्ययंत्र है, जिसे हाथों से बजाया जाता है। यह आमतौर पर पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन जैसे 'संगाई' या 'लेला' में इस्तेमाल होता है। करताल की तेज धुनें और ताल मिलकर संगीत को एक अनोखा रूप देती हैं। इसे बजाने के लिए दोनों हाथों में पकड़ा जाता है और ताल के अनुसार झंकार की जाती है। करताल मणिपुर की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा है।
#3
शंख
शंख एक प्रकार का सीप होता है, जिसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। मणिपुर में इसे संगीत वाद्ययंत्र के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। शंख फूक मारकर बजाया जाता है और इसकी धुन धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण होती है। इसे बजाने के लिए मुंह से फूंक मारी जाती है, जिससे एक मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है। शंख की धुनें पूजा-पाठ और धार्मिक समारोहों में विशेष महत्व रखती हैं।
#4
पेना
पेना एक प्रकार का बांसुरी है, जिसे लकड़ी या बांस से बनाया जाता है। यह आमतौर पर लोक गीतों के साथ प्रयोग किया जाता है। पेना की मीठी धुनें ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय होती हैं। इसे बजाने के लिए नाक से सांस ली जाती है, जिससे मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है। पेना की धुनें ग्रामीण जीवन में खुशियों का प्रतीक मानी जाती हैं और त्योहारों आदि में इसका विशेष महत्व होता है।
#5
दहपी
दहपी एक प्रकार की ढोलकी होती है, जिसे दोनों हाथों से बजाया जाता है। यह पारंपरिक नृत्य समारोहों में इस्तेमाल होती है। दहपी की तेज ध्वनि उत्सवों का आनंद बढ़ाने में मदद करती है। इसे बजाने के लिए दोनों हाथों से थपथपाया जाता है, जिससे एक मधुर ध्वनि उत्पन्न होती है। दहपी की धुनें समारोहों में जोश और उत्साह का संचार करती हैं।