शरीर में ऊर्जा का केंद्र हैं सात चक्र, जानें इनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
चक्र का मतलब है पहिया और हमारे शरीर के अंदर सात अलग-अलग ऊर्जा केंद्र वाले चक्र हैं। इन सात चक्रों की उचित पंक्तियोजना शारीरिक, आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। यकीनन आपने योग और ध्यान की बढ़ती लोकप्रियता के साथ चक्रों के बारे में भी जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप वास्तव में जानते हैं कि सात चक्रों में से प्रत्येक क्या दर्शाता है और वे कैसे काम करते हैं? शायद नहीं। चलिए फिर जानते हैं।
मूलाधार चक्र
यह चक्र हमारी रीढ़ की हड्डी के आधार पर स्थित होता है, जो नींव के रूप में कार्य करता है और आपके मन, शरीर और आत्मा को पृथ्वी से जोड़ता है। यह चक्र लाल रंग से जुड़ा हुआ है और इसका आंत, हड्डियों, दांतों, गुर्दे आदि के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, संतुलित मूलाधार चक्र हमें चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्मविश्वास पैदा करता है।
स्वाधिष्ठान चक्र
नारंगी रंग से जुड़ा स्वाधिष्ठान चक्र नाभि के नीचे स्थित होता है, जो हमें अपनी भावनाओं के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद करता है। यह चक्र एक व्यक्ति की रचनात्मकता, इच्छा और आत्म-मूल्य की भावनाओं से जुड़ा है, जो हमारी यौन ऊर्जा और ऑटोइम्यून सिस्टम को भी नियंत्रित करता है। हालांकि, अगर यह चक्र किसी कारणवश असंतुलित हो जाता है तो चिड़चिड़ापन, हार्मोनल असंतुलन, खराब पाचन और रचनात्मकता की कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
मणिपुर चक्र
पीले रंग से सबंधित यह चक्र पेट के ऊपरी हिस्से में स्थित होता है, जो आत्म-सम्मान, आत्म-मूल्य और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। यह चक्र ऊर्जा का सबसे बड़ा केंद्र होता है। इसके जरिए पूरे शरीर में ऊर्जा का संचरण होता है। मन या शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव सीधा मणिपुर चक्र पर पड़ता है। एक संतुलित मणिपुर चक्र आपको आत्मविश्वासी और ऊर्जावान बनाता है और एकाग्रता और बुद्धि को बढ़ाने में मदद करता है।
अनाहत चक्र और विशुद्ध चक्र
अनाहत चक्र: हरे रंग से जुड़ा से यह चक्र हृदय के केंद्र में स्थित होता है, जिससे व्यक्ति की भावनाएं और साधना की आंतरिक अनुभूतियां जुड़ी होती हैं। विशुद्ध चक्र: नीले रंग से संबंधित यह चक्र गले पर मौजूद होता है, जो संवाद करने और खुद को मौखिक रूप से व्यक्त करने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं, इसके अंसतुलित होने पर थायराइड या फिर गले से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं।
आज्ञा चक्र और सहस्त्रार चक्र
आज्ञा चक्र: आइब्रो के बीचो-बीच स्थित आज्ञा चक्र नीले रंग से जुड़ा होता है और यह अंतर्ज्ञान, कल्पना, बुद्धि, ज्ञान, आत्म-जागरूकता और स्पष्ट सोच पर काम करता है। इसी चक्र पर ध्यान केंद्रित करने से मन मुक्त अवस्था में आ जाता है। सहस्त्रार चक्र: बैंगनी रंग से जुड़ा सहस्त्रार चक्र सिर के शीर्ष पर स्थित होता है, जो उच्च चेतना तक पहुंचने में मदद करता है। हालांकि, इस चक्र को जागृत करना आसान नहीं होता।