स्वस्थ रहने के लिए वजन कम करना जरूरी नहीं, हार्वर्ड के अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
लोगों की यह मानसिकता है कि स्वस्थ रहने के लिए वजन घटाना जरूरी होता है। हालांकि, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में किया गया एक अध्ययन इस बात को गलत साबित करता है।
इस अध्ययन के जरिए सामने आया है डाइटिंग करने वाले लोगों का वजन कम न भी हो तब भी उनके स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है।
यह अध्ययन कहता है कि स्वस्थ रहने के लिए वजन घटाना आवश्यक नहीं होता है।
अध्ययन
इजरायल के विश्वविद्यालय ने भी दिया अध्ययन में योगदान
इस अध्ययन को हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और इजरायल के बेन गुरियन विश्वविद्यालय ने मिलकर पूरा किया है।
इसके माध्यम से पता चला है कि स्वस्थ डाइट का पालन करने वाले लगभग एक तिहाई लोगों का वजन कम नहीं हुआ, लेकिन फिर भी उनके स्वास्थ्य में प्रभावशाली सुधार देखा गया।
हाल ही में इस अध्ययन को यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित भी किया गया था।
प्रक्रिया
761 लोग बने इस अध्ययन का हिस्सा
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने इजरायल में रहने वाले 761 लोगों पर नजर रखी, जिनका वजन ज्यादा था।
इन सभी को तीन बड़े पैमाने वाले कार्यस्थल-आधारित पोषण परीक्षणों में शामिल किया गया, जो प्रत्यक्ष, केंद्रीय और प्रत्यक्ष प्लस थे।
सभी प्रतिभागियों को एक सख्त डाइट का पालन करने को कहा गया था। सभी ने 18 से 24 महीनों तक अलग-अलग प्रकार की पौष्टिक डाइट का पालन किया और शोधकर्ताओं ने उनके वजन का आकलन किया।
नतीजे
क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?
शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से लो-कार्ब, लो-फैट, मेडिटरेनियन और ग्रीन मेडिटरेनियन डाइट अपनाने के लिए कहा था।
शोध से सामने आया कि 36 प्रतिशत प्रतिभागियों ने करीब 5 प्रतिशत वजन कम कर लिया था।
वहीं, 28 प्रतिशत लोगों का वजन बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था या फिर पहले से थोड़ा बढ़ गया था।
इसके बाद शोधकर्ताओं को समझ आया कि वजन घटाने का स्वस्थ रहने से कोई सीधा संबंध था ही नहीं।
प्रभाव
वजन घटाने पर ऐसे बदला प्रतिभागियों का स्वास्थ्य
अध्ययन के मुताबिक, वजन कम करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगे थे।
प्रत्येक किलोग्राम वजन कम होने से कोलेस्ट्रॉल में 1.44 प्रतिशत की वृद्धि, ट्राइग्लिसराइड्स में 1.37 प्रतिशत की कमी, इंसुलिन में 2.46 प्रतिशत की गिरावट, लेप्टिन में 2.79 प्रतिशत की कमी और यकृत वसा में 0.49 इकाई की गिरावट दर्ज की गई थी।
इससे पता चला कि लोगों की शारीरिक जरूरतें अलग होती हैं, जिस कारण वजन घटाने पर उनका शरीर अलग-अलग प्रतिक्रिया देता है।
वजन
अध्ययन के एक लेखक ने कही यह बात
हार्वर्ड चैन स्कूल में महामारी विज्ञान विभाग में पोस्टडॉक्टरल रिसर्च प्रमुख और अध्ययन की लेखक अनात यास्कोल्का मीर ने कहा, "हमें वजन घटाने को स्वास्थ्य के बराबर मानने के लिए तैयार किया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "जो लोग अपना वजन कम नहीं करते हैं, वे अपने चयापचय में सुधार कर सकते हैं और बीमारियों के दीर्घकालिक जोखिम को कम कर सकते हैं। यह आशा का संदेश है, असफलता का नहीं।"