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सोशल मीडिया के इस्तेमाल से युवाओं की एकाग्रता में आ रही कमी, अध्ययन में हुआ खुलासा

सोशल मीडिया के इस्तेमाल से युवाओं की एकाग्रता में आ रही कमी, अध्ययन में हुआ खुलासा

लेखन सयाली
Jul 18, 2025
03:04 pm

क्या है खबर?

आज के दौर में सोशल मीडिया जीवन का पर्याय बन चुका है। बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी इसके आदी हो गए हैं और बिना किसी कारण के भी रील स्क्रॉल करते रहते हैं। इससे न केवल उनकी आखें खराब होती हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इसी कड़ी में एक अध्ययन किया गया है, जिससे सामने आया है कि सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से युवाओं की एकाग्रता में कमी आ रही है और तनाव बढ़ रहा है।

अध्ययन

AI प्लेटफॉर्म का सहारा लेकर पूरा हुआ अध्ययन

सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और अनुसंधान एजेंसी रिसर्च नेटवर्क ने अमेरिका के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) प्लेटफॉर्म लिसनलैब्स.AI के सहयोग से यह अध्ययन पूरा किया है। इसके लिए न केवल सिंगापुर, बल्कि ऑस्ट्रेलिया के प्रतिभागियों की भी मदद ली गई थी। इसके मुताबिक, सोशल मीडिया युवाओं की ध्यान अवधि में कमी, भावनात्मक अस्थिरता और बुरे व्यवहार का कारण बन रहा है। यह अध्ययन सोशल मीडिया के इस्तेमाल को सीमित करने की जरूरत को उजागर करता है।

प्रक्रिया

युवाओं और उनके माता-पिता का किया गया सर्वेक्षण

इस अध्ययन के लिए सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के 13 से 25 साल की आयु वाले 583 युवाओं और उनके माता-पिता का सर्वेक्षण किया गया था। इसे लिसनलैब्स.AI का उपयोग करके किया गया, जो कि एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संचालित इंटरव्यू मंच है। इस तरीके ने पाठ-आधारित संकेतों के लिए स्वाभाविक तरीके से ध्वनि को रिकॉर्ड किया, जिसके परिणामस्वरूप ज्यादा सटीक नतीजे सामने आए। AI के कारण केवल 2 दिनों में ही सारा डाटा इखट्टा हो गया था।

नतीजे

देर तक सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से होते हैं ये प्रभाव

AI टूल के जरिए युवाओं की भावनाओं और व्यवहार का पता लगाने का प्रयास किया गया था। AI प्लेटफॉर्म ने सोशल मीडिया के उभरते हुए ट्रेंड को समझने की कोशिश भी की, जिससे 6 महीने में होने वाला सामान्य विश्लेषण केवल 2 दिनों में पूरा हो गया। नतीजों से सामने आया कि देर तक सोशल मीडिया का उपयोग करने से उसकी लत लग जाती है, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है और भावनात्मक थकान बढ़ जाती है।

प्रतिभागी

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

नतीजों के मुताबिक, करीब 68 प्रतिशत प्रतिभागियों ने ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई की बात कही। वहीं, कई ने स्कूल का काम पूरा करने या एक मिनट से ज्यादा लंबी वीडियो देखने में भी कठिनाई की बात कही। एक किशोर ने कहा, "टिक-टॉक ने मेरे ध्यान की अवधि को इतना कम कर दिया है कि मैं एक मिनट का वीडियो भी नहीं देख पाता हूं।" सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया के परिणामों की तुलना करने पर विचारों के अंतर भी सामने आए।

अंतर

स्क्रीन-टाइम सीमा जैसी सुविधाओं को दोबारा डिजाइन करना होगा- शोधकर्ता

सिंगापुर के युवाओं ने सोशल मीडिया के उपयोग को कम करने का श्रेय शिक्षा मंत्रालय को दिया, जो स्कूलों में फोन इस्तेमाल करने पर अंकुश लगाता है। हालांकि, आस्ट्रेलियाई किशोरों ने इसी प्रकार की सीमाओं के अभाव पर चिंता जताई। अध्ययन के सेह-लेखक जेम्स ब्रीज ने कहा, "हमें स्क्रीन-टाइम सीमा जैसी दिखावटी सुविधाओं से आगे बढ़ना होगा। अब समय आ गया है कि हम इन्हें उस पीढ़ी के लिए दोबारा डिजाइन करें, जो स्क्रॉलिंग के लिए पैदा हुई है।"