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शोधकर्ताओं ने लगाया सामाजिक कारकों का पता, जो कोविड के जोखिम को करते हैं 3 गुना

शोधकर्ताओं ने लगाया सामाजिक कारकों का पता, जो कोविड के जोखिम को करते हैं 3 गुना

लेखन सयाली
Aug 05, 2025
03:11 pm

क्या है खबर?

कोरोना वायरस आज भी एक बड़ी परेशानी बना हुआ है। यह वायरस श्वास प्रणाली में संक्रमण फैलता है, जिससे कई तरह की बीमारियां होती हैं और जान जाने का भी खतरा रहता है। हाल ही में किए गए एक अध्ययन के जरिए कोविड के जोखिम को बढ़ाने वाले सामाजिक जोखिम कारकों का खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं ने पाया कि आर्थिक तंगी जैसी सामाजिक परेशानियां दीर्घकालिक कोविड के खतरे को 3 गुना तक बढ़ा सकती हैं।

अध्ययन

अमेरिका के अस्पताल में हुआ यह अध्ययन

अध्ययन को अमेरिका के ब्रिघम और महिला अस्पताल के शोधकर्ताओं ने पूरा किया। इसके नतीजों को 'एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन' पत्रिका में प्रकाशित किया गया। इसके जरिए दीर्घकालिक कोविड के कारणों की जांच करने का प्रयास किया गया। इस तरह के कोविड के लक्षण SARS-CoV-2 संक्रमण के 3 या उससे ज्यादा महीनों बाद भी मौजूद रहते हैं। पाया गया कि वित्तीय कठिनाई, खाद्य असुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की कमी जैसे कारक दीर्घकालिक कोविड के खतरे को बढ़ाते हैं।

उद्देश्य

क्या था इस अध्ययन का उद्देश्य?

अस्पताल की रुमेटोलॉजी, इन्फ्लेमेशन और इम्युनिटी विभाग की प्रमुख कैंडेस फेल्डमैन अध्ययन की लेखिका हैं। उन्होंने कहा, "महामारी के दौरान हमने देखा कि सामाजिक कारकों ने यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि कौन कोविड-19 से संक्रमित था और बीमारी की गंभीरता और मृत्यु दर क्या थी।" इसीलिए, शोधकर्ता यह समझना चाहते थे कि क्या ये जोखिम कारक दीर्घकालिक लक्षणों में भी भूमिका निभाते हैं और संक्रमण के महीनों या सालों बाद लोगों को प्रभावित करते हैं या नहीं।

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प्रक्रिया

कोविड के 3,700 मरीज बने थे अध्ययन का हिस्सा

शोधकर्ताओं ने RECOVER-Adult समूह के 3,700 प्रतिभागियों का विश्लेषण किया, जिन्हें ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रकोप के दौरान SARS-CoV-2 संक्रमण हुआ था। प्रतिभागी अमेरिका के 33 राज्यों से चुने गए थे और अक्टूबर 2021 से लेकर नवंबर 2023 तक अध्ययन का हिस्सा रहे थे। सभी ने संक्रमण के समय सामाजिक और आर्थिक कारकों पर आधारित एक सर्वेक्षण पूरा किया था। लंबे समय तक कोविड के लक्षणों का आकलन करने के लिए 6 महीने बाद भी सर्वेक्षण किया गया था।

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सर्वेक्षण

प्रतिभागियों से पूछे गए थे इन कारकों से संबंधित सवाल

सर्वेक्षण में शोधकर्ताओं ने 4 प्रमुख व्यक्तिगत-स्तरीय सामाजिक जोखिम कारकों का आकलन किया था। इनमें आर्थिक अस्थिरता, शिक्षा व भाषा तक पहुंच में बाधाएं, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच व गुणवत्ता संबंधी चुनौतियां और सामाजिक व सामुदायिक समर्थन का अभाव शामिल थे। सर्वेक्षण के दौरान प्रतिभागियों से इन्हीं कारकों पर आधारित सवाल पूछे गए थे और उनके जवाबों को रिकॉर्ड किया गया था। आइए इस अध्ययन के नतीजों पर नजर डालते हैं।

नतीजे

क्या रहे इस अध्ययन के नतीजे?

SARS-CoV-2 संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने, टीकाकरण इतिहास, गर्भावस्था की स्थिति, आयु, लिंग, नस्ल और जातीयता आदि की जानकारी भी जुटाई गई थी। शोधकर्ताओं ने लगभग सभी व्यक्तिगत स्तर के सामाजिक जोखिम कारकों और दीर्घकालिक कोविड विकसित होने के जोखिम के बीच महत्वपूर्ण संबंध देखा। सामाजिक कारकों की ज्यादा संख्या ने दीर्घकालिक कोविड के जोखिम को 3 गुना कर दिया। अधिक भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में रहने से भी दीर्घकालिक कोविड का जोखिम बढ़ गया था।

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