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अकेले रहने वाले लोगों का मूड होता है ज्यादा अस्थिर, अध्ययन में हुआ खुलासा

अकेले रहने वाले लोगों का मूड होता है ज्यादा अस्थिर, अध्ययन में हुआ खुलासा

लेखन सयाली
Aug 16, 2025
05:15 pm

क्या है खबर?

अकेलापन लोगों को उदासी और निराशा की राह पर ले जाता है। ऐसे में मन में केवल नकारात्मक ख्याल ही आते हैं और हर किसी से दूर चले जाने का दिल करता है। अब एक नए अध्ययन में इस बात को सच साबित करने वाले साक्ष्य सामने आए हैं। दरअसल, अध्ययन में कहा गया है कि अकेले रहने वाले व्यक्तियों के मूड में ज्यादा अस्थिरता होती है। ऐसे लोग सकारात्मक भावनाओं को ठीक तरह से महसूस नहीं कर पाते हैं।

अध्ययन

अकेलापन बनता है भावनात्मक अस्थिरता का कारण

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े इस अध्ययन को 'कॉग्निटिव एंड इमोशन' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसका नाम 'ज्यादा अकेलापन रोजमर्रा की जिंदगी में अधिक सकारात्मक और नकारात्मक भावना अस्थिरता से जुड़ा' है। इसे जी यून कांग, डस्टी आर जोन्स, जोशुआ एम स्मिथ और मार्टिन जे स्लिविंस्की ने मिलकर पूरा किया है। सामने आया कि जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, वे भावनात्मक उतार-चढ़ाव का ज्यादा अनुभव करते हैं।

उद्देश्य

क्या था इस अध्ययन का उद्देश्य?

अकेलेपन का मतलब केवल यह नहीं होता कि आपके आस-पास लोग नहीं है। यह एक तरह की भावना है, जो लोगों के बीच बैठे-बैठे भी महसूस हो सकती है। पुराने अध्ययन से यह पता चल चुका है कि अकेलेपन के कारण नकारात्मक भावनाएं बढ़ती हैं और सकारात्मक भावनाएं कम हो जाती हैं। हालांकि, यह नया अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि अकेलापन लोगों के दैनिक जीवन के व्यवहार और भावनाओं को कैसे प्रभावित करता है।

प्रक्रिया

252 प्रतिभागियों को किया गया अध्ययन में शामिल 

शोधकर्ताओं ने न्यूयॉर्क शहर के रहने वाले 25 से 65 साल की आयु के 252 वयस्कों को अध्ययन का हिस्सा बनाया था। इनमें से ज्यादातर प्रतिभागी अफ्रीकी मूल के, गैर-हिस्पैनिक और महिलाएं थीं। सभी के अकेलेपन को मापने के लिए उन्हें एक प्रश्नावली भरने को कहा गया था। इसके बाद उन्हें शोधकर्ताओं द्वारा दिए गए स्मार्टफोन इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया गया था। इसके बाद, 2 हफ्तों तक प्रतिभागियों के स्मार्टफोन पर रोजाना 5 अलर्ट आते थे।

जांच

इस तरह से लगाया गया प्रतिभागियों की भावनाओं का पता

जब भी प्रतिभागियों के पास अलर्ट जाता था तब उन्हें अपनी वर्तमान भावनात्मक स्थिति बतानी होती थी। वे 0 से 100 तक के पैमाने का उपयोग करके मूल्यांकन करते थे कि वे कितने सकारात्मक या नकारात्मक महसूस कर रहे हैं। भावनात्मक अस्थिरता को मापने के लिए शोधकर्ताओं ने 'माध्य वर्ग क्रमिक अंतर' नामक मीट्रिक का उपयोग किया था। इसकी मदद से पता चला कि प्रतिभागियों की भावनात्मक का स्कोर एक दिन से दूसरे दिन में कितना बदला।

परिणाम

क्या रहे अध्ययन के नतीजे?

अध्ययन के परिणामों के मुताबिक, अकेलापन रोजाना की भावनात्मक अस्थिरता से महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा हुआ था। जिन लोगों ने अकेलेपन के मामले में ज्यादा अंक प्राप्त किए, उनमें एक दिन से दूसरे दिन तक भावनात्मक उतार-चढ़ाव ज्यादा देखा गया था। इससे पता चलता है कि अकेलेपन के कारण सकारात्मक भावनाओं को बनाए रखना कठिन हो जाता है, जिसका खुशी और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसी कारण से अकेलेपन के शिकार लोग हमेशा उदास रहते हैं।