पैनिक अटैक बनाम एंग्जायटी अटैक: जानिए इनमें क्या है अंतर
पैनिक अटैक और एंग्जाइटी अटैक दोनों ही बेचैनी से जुड़ी स्थितियां हैं, जो पूरे शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। ये स्थितियां अचानक होने वाली मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाएं होती हैं। इन्हें स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। इनके लक्षण काफी समान हैं, लेकिन पैनिक अटैक और एंग्जाइटी अटैक एक दूसरे से अलग होते हैं। आइए आज इन दोनों मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के बीच के अंतर को समझते हैं।
पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक में अंतर
पैनिक अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिससे ग्रस्त व्यक्ति में अचानक डर लगने वाली भावना उत्पन्न हो जाती है और अत्यधिक डर होने से व्यक्ति खुद पर नियंत्रण पूरी तरह से खो देता है। एंग्जायटी अटैक धीरे-धीरे दिमाग पर हावी होने वाली स्थिति है। इसमें व्यक्ति नकारात्मक भावनाओं से घिर जाता है। इससे कई मानसिक और शारीरिक रोग होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इस स्थिति के तीन चरण (हल्का, मध्यम और गंभीर) होते हैं।
पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक के कारण
पैनिक अटैक आने के कारण नहीं होते हैं, जबकि एंग्जाइटी अटैक के ट्रिगर्स होते हैं और यह बार-बार व्यक्ति को परेशानी में डाल सकता है। आनुवांशिकी यानी अगर आपके माता-पिता को एंग्जायटी की समस्या है तो आपको भी यह समस्या हो सकती है और एंग्जायटी अटैक आ सकता है। तनाव और नकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करने से भी एंग्जायटी अटैक आ सकता है।
इन मानसिक स्थितियों के लक्षण
पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक के लक्षण एक दूसरे से काफी मिलते-जुलते हैं। सांस लेने में तकलीफ होना, उल्टी आना, चक्कर आना, दिल की धड़कनें तेज होना, हाी ब्लड प्रेशर, हाथ-पैर का कांपना आदि पैनिक अटैक के लक्षण हैं। एंग्जायटी अटैक की बात करें तो इससे ग्रस्त व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई, दिल की धड़कन का बढ़ना, सीने में दर्द होना, आंखों में कमजोरी, बोलने में कठिनाई और हाथ या गर्दन में दर्द होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक से बचाव के उपाय
लैवेंडर एसेंशियल ऑयल या फिर रोजमेरी एसेंशियल ऑयल जैसे तेलों से आरोमाथेरेपी (सुगंध से इलाज) करके पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक के जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है। इन मानसिक स्थितियों से सुरक्षित रहने के लिए मेडिटेशन करना भी एक अच्छा उपाय है। मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग, साइकिलिंग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज आदि को रूटीन का हिस्सा बनाने से भी पैनिक अटैक और एंग्जायटी अटैक के जोखिमों को कम करने में मदद मिल सकती है।