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200 सालों में प्रकृति से मानवों का जुड़ाव हुआ 60 प्रतिशत कम, अध्ययन में खुलासा

200 सालों में प्रकृति से मानवों का जुड़ाव हुआ 60 प्रतिशत कम, अध्ययन में खुलासा

लेखन सयाली
Aug 10, 2025
02:32 pm

क्या है खबर?

पुराने समय में लोग घंटों प्रकृति के बीच समय बिताया करते थे। पहाड़ों, नदियों और पेड़-पौधों के बीच समय बिताने से मन को शांति मिलती है। हालांकि, अब एक नए अध्ययन से सामने आया है कि पिछले 200 सालों में मानवों का प्रकृति से जुड़ाव 60 प्रतिशत कम हो गया है। कहा जा रहा है कि जब तक नीतियां नहीं बनाई जाएंगी या सामाजिक परिवर्तन नहीं होंगे, तब तक प्रकृति से जुड़ाव का स्तर घटता ही रहेगा।

अध्ययन

1800 से अब तक काफी कम हुआ प्रकृति से जुड़ाव

यह अध्ययन माइल्स रिचर्डसन नामक शोधकर्ता ने किया है, जो डर्बी विश्वविद्यालय में प्रकृति से जुड़ाव के प्रोफेसर हैं। इसे 'अर्थ (पृथ्वी)' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसके जरिए सामने आया कि 1800 से लेकर अब तक लोगों का प्रकृति से जुड़ाव 60 प्रतिशत घट चुका है। रिचर्डसन ने 1800 और 2020 के बीच किताबों से प्राकृतिक शब्दों के लुप्त होने की भी पहचान की, जो बदलाव 1990 में 60.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ चरम पर था।

प्रक्रिया

कंप्यूटर मॉडलिंग का इस्तेमाल करके किया गया यह अध्ययन

अध्ययन में शहरीकरण और वन्यजीवों की हानि के आंकड़ों का उपयोग करके 220 सालों में प्रकृति से लोगों के घटते जुड़ाव को सटीक रूप से ट्रैक किया गया है। इसका सबसे बड़ा कारण यह सामने आया कि माता-पिता ने अपने बच्चों को प्रकृति के बीच समय बिताने का महत्व समझना बंद कर दिया है। अध्ययन के लिए रिचर्डसन ने कंप्यूटर मॉडलिंग का इस्तेमाल किया, जो वास्तविक दुनिया की प्रणाली का अनुकरण बनाने के लिए कंप्यूटर उपयोग करने की प्रक्रिया है।

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नतीजे

अध्ययन से सामने आए ये नतीजे

अध्ययन में भविष्य की पीढ़ियों के बीच प्रकृति के प्रति जागरूकता खोने के साथ 'अनुभव के विलुप्त होने' की भविष्यवाणी की गई। रिचर्डसन ने कहा, "प्रकृति से जुड़ाव को अब पर्यावरणीय संकट का मुख्य कारण माना जाता है। लोग मानते हैं कि शहरों में पेड़-पौधों की 30 प्रतिशत वृद्धि लोगों के प्रकृति के जुड़ाव को बढ़ा सकती है।" हालांकि, रिचर्डसन ने कहा कि प्रकृति से जुड़ाव में गिरावट को पलटने के लिए शहरों को 10 गुना ज्यादा हरा बनाना होगा।

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निष्कर्ष

बच्चों को छोटी उम्र से प्रकृति के करीब रखना होगा फायदेमंद

अध्ययन में पाया गया कि प्रकृति से लोगों का जुड़ाव बढ़ाने के उपाय उसकी गिरावट को रोकने में कारगर नहीं हैं। रिचर्डसन ने कहा कि चैरिटी संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही योजनाएं मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, कंप्यूटर मॉडलिंग से पता चलता है कि ये योजनाएं प्रकृति से जुड़ाव में पीढ़ी-दर-पीढ़ी हो रही कमी को नहीं रोक पातीं। बच्चों को घर पर और स्कूल में प्रकृति से जुड़ाव का महत्व बताने से ज्यादा फायदे होंगे।

जानकारी

25 सालों तक निरंतर प्रयास की है जरूरत

अध्ययन से पता चलता है कि इस गिरावट को रोकने के लिए अगले 25 सालों में प्रारंभिक शिक्षा और शहरी क्षेत्रों में परिवर्तन लाने के लिए नीतियां लागू करने की जरूरत होगी।

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