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संगीत बच्चों की कम उम्र से ही करता है भावनाओं को पहचानने में मदद- अध्ययन

संगीत बच्चों की कम उम्र से ही करता है भावनाओं को पहचानने में मदद- अध्ययन

लेखन सयाली
Aug 10, 2025
01:55 pm

क्या है खबर?

संगीत एक ऐसी कला है, जो मन को सुकून देकर खुशी महसूस करवाने का जादू रखती है। चाहे हम खुश हों या उदास हों, संगीत सभी भावनाओं को व्यक्त करने का जरिया माना जाता है। बड़ों के लिए अपनी भावनाओं को समझना आसान होता है, लेकिन बच्चे ऐसा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में संगीत उनका सहारा बन सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, संगीत छोटे बच्चों की कम उम्र से ही भावनाओं को पहचानने में मदद कर सकता है।

अध्ययन

फिलाडेल्फिया के शोधकर्ताओं ने किया यह अध्ययन

फिलाडेल्फिया के पेन स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज के मनोविज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। वे संगीत के माध्यम से भावहीन व्यवहार से जुड़े लक्षणों वाले बच्चों की भावनाओं को समझने का प्रयास करना चाहते थे। जो बच्चे सहानुभूति या अपराधबोध जैसी भावनाओं का अभाव महसूस करते हैं, उनके आक्रामक होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसी कारण से शोधकर्ता छोटी उम्र से ही बच्चों को संगीत के माध्यम से भावबोधक बनाने की कोशिश में जुटे थे।

प्रक्रिया

144 बच्चे हुए थे अध्ययन में शामिल

शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए फिलाडेल्फिया के 3 से 5 साल की आयु वाले 144 बच्चों की जांच की थी। उन्हें 5-5 सेकंड की संगीत क्लिप सुनाई गई थी। इनके जरिए यह देखने का प्रयास किया गया था कि वे खुशी, उदासी, शांति या भय को कितनी अच्छी तरह पहचानते हैं। यह अध्ययन उन बच्चों के सामुदायिक नमूने पर किया गया, जिनमें समग्र रूप से कठोर-भावनाहीन लक्षणों का स्तर कम था।

नतीजे

क्या रहे अध्ययन के नतीजे?

इस अध्ययन के नतीजों को 'चाइल्ड डेवलपमेंट' पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। इसमें सामने आया कि बच्चे संगीत के माध्यम से भावनाओं की पहचान ज्यादा सटीकता से कर सकते हैं। उम्र के साथ उनका प्रदर्शन भी बेहतर होता जाता है। इसके अलावा, पाया गया कि जिन बच्चों के माता-पिता उन्हें कठोर-भावनाहीन वाले लक्षणों में ज्यादा अंक देते हैं, वे संगीत में भावनाओं की पहचान कम कर पाते हैं। हालांकि, उन्हें डरावना संगीत पहचानने में ज्यादा मुश्किल नहीं होती।

निष्कर्ष

बच्चों को सामाजिक बनाने में भी मदद करता है संगीत

इस अध्ययन की सह-वरिष्ठ लेखिका एसोसिएट प्रोफेसर रेबेका वालर ने कहा, "हमें पता चला है कि बच्चे 3 साल की उम्र में भी भावनाओं को 'सही' भावनात्मक संगीत से मिलाने में अच्छे होते हैं।" यह इस बात पर जोर देता है कि संगीत भावनात्मक समाजीकरण और सामाजिक कौशल शिक्षण के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। नतीजे साफ तौर पर कहते हैं कि संगीत सुनने से बच्चे अपनी भावनाओं को समझना और व्यक्त करना सीख सकते हैं।

भावना

संगीत के जरिए भय को पहचानना भी हो जाता है आसान

सबसे दिलचस्प निष्कर्षों में से एक यह है कि चेहरे के भावों की तुलना में संगीत से भावना पहचान में अंतर होता है। अध्ययन के मुताबिक, कठोर-भावनाहीन लक्षणों वाले बच्चों को चेहरे के भावों से संकट को पहचानने में अधिक कठिनाई होती है। शोधकर्ताओं को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि कठोर-भावनाहीन लक्षणों वाले बच्चे भी संगीत सुनकर भय को पहचानने में सक्षम थे। इससे पता चलता है कि संगीत भावना पहचानने के लिए अद्वितीय रूप से उपयुक्त हो सकता है।