क्या आपका मूड रहता है खराब? ठीक करने के लिए अपनाएं ये 5 प्राकृतिक तरीके
आजकल लोगों की जिंदगी इतनी व्यस्त और भागदौड़ वाली हो गई है कि लोग कई तरह की मानसिक समस्याओं से ग्रस्त हो रहे हैं। लोगों का मूड काम के प्रेशर, तनाव और आर्थिक स्थिति के कारण अकसर खराब ही रहता है। इससे बचाव के लिए मूड को बेहतर बनाने के लिए प्रभावी तरीके खोजना जरूरी है ताकि आप खुश रह सके। चलिए फिर आज हम आपको स्वास्थ्य टिप्स में मूड को बेहतर बनाने में 5 प्राकृतिक तरीके बताते हैं।
शारीरिक गतिविधियां करें
अगर आप रोजाना हल्की-हल्की शारीरिक गतिविधियां करते रहेंगे तो इससे शरीर में एंडोर्फिन जारी हो सकता है। यह एक तरह से मूड लिफ्ट करने के रूप में जाना जाता है। इसके लिए आप टहल सकते हैं आसान एक्सरसाइज और डांस कर सकते हैं। खुद को सक्रिय रखने वाली ऐसी चीजों को करके तनाव के स्तर को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है। इससे मूड बेहतर होता है। इससे आप दिनभर उर्जावान भी बने रहेंगे।
धूप में रहें
सूरज की रोशनी में रहना मूड और नींद के पैटर्न को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। इससे शरीर में मेलाटोनिन नामक हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है,जो डिप्रेशन को कम कर सकता है। इसके लिए बस कुछ समय बाहर बिताएं और धूप का आनंद लें। अगर आप बगीचे या किसी पार्क में टहलते हुए धूप का आनंद लेंगे तो यह मूड को बेहतर करने में अधिक फायदेमंद रहेगा।
गाने सुनें
आप हेडफोन लगाकर कहीं पर भी गाना सुन सकते हैं और अगर आप शांत गाने सुनते-सुनते झपकी ले लेंगे तो कुछ ही समय में आपका मूड बेहतर हो जाएगा। दरअसल, अच्छे गानों में आपके मूड को बेहतर बनाने और काम की उत्पादकता बढ़ाने की भी शक्ति होती है। इसके लिए बस अपने वर्तमान मूड के अनुकूल कोई भी शांत गाना सुनें। गाना सुनने से ये फायदे भी मिल सकते हैं।
अरोमाथेरेपी भी है जरूरी
अरोमाथेरेपी यानी सुगंध से इलाज, यह मानसिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ाने के लिए काफी सहायक साबित हुई है। यह आपके तनाव को कम करने और सकारात्मकता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। इसके लिए आप लैवेंडर और चमेली जैसे फूलों वाले एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपके पास एसेंशियल ऑयल नहीं है तो आप घर पर इन घरेलू मसालों से भी अरोमाथेरेपी कर सकते हैं।
अपनों के साथ ज्यादा समय बिताएं
मस्तिष्क के अमिगडाला में कमियों के कारण ट्रिप्टोफैन और सेरोटोनिन का स्तर कम होता है। ऐसे में दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताने से आपको प्यार, एकजुटता और आत्मविश्वास का अनुभव होता है, जो अमिगडाला की डर की प्रतिक्रिया को निष्क्रिय करता है और सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाता है। अमिगडाला मस्तिष्क का एक ऐसा हिस्सा है, जो कोई भी सेंसरी इनपुट मिलने से सक्रिय हो जाता है और फिर हम तनाव या डर जैसा महसूस करने लगते हैं।