टिड्डियों से संबंधित पांच हैरान कर देने वाल तथ्य, जिनके बारे में नहीं जानते होंगे आप
पिछले कुछ महीनों से टिड्डियों के आतंक की अचानक सुर्खियां बनने लगी हैं। अभी भी पाकिस्तान से राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा होते हुए मध्य प्रदेश तक टिड्डियों का दल तांडव कर रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक टिड्डियों की बाढ़ का मुख्य कारण चक्रवाती तूफानों को माना जा रहा है जिनके कारण ऐसे मौसमी हालात पैदा हुए जिनमें टिड्डियों की संख्या में अपार वृद्धि हो गई। खैर आइए जानते हैं फसलों को बर्बाद करने वाली टिड्डियों से संबंधित कुछ आश्चर्यजनक तथ्यें।
दुनिया के सबसे खतरनाक कीटों में से एक हैं टिड्डियां
टिड्डियों की दुनियाभर में अबतक 10 हजार से अधिक प्रजातियां पाई गई हैं जिनमें से भारत में मुख्य तौर पर चार प्रजातियां (रेगिस्तानी, प्रव्राजक, बम्बई और पेड़ वाली टिड्डियां) पाई जाती हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की मानें तो रेगिस्तानी टिड्डियां हमेशा एक झुंड में हरे-भरे मैदानों पर धावा बोलती हैं जिससे दुनिया की दस फीसदी आबादी की जिंदगी प्रभावित हो सकती हैं इसलिए इन्हें दुनिया का सबसे खतरनाक कीट कहा जाता है।
टिड्डी दल इस तरह से प्रभावित कर सकते हैं लोगों की जिन्दगी
आसमान में उड़ते इन टिड्डी दल में दस अरब टिड्डियां तक हो सकती हैं जो एक दिन में 15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से करीब 200 किलोमीटर तक का रास्ता नाप सकती हैं। FAO के मुताबिक एक वर्ग किलोमीटर में फैले दल में करीब 4 करोड़ टिड्डियां होती हैं जो एक दिन में इतने वजन का भोजन कर लेती हैं जितने में 35 हजार लोगों का पेट भर सकता है।
इस तरह तबाही मचाती हैं टिड्डियां
ये टिड्डियां लाखों-करोड़ों के झुंड में आकर पेड़ों, पौधों या फसलों के पत्ते, फूल, फल, बीज, छाल और फुनगियां सभी खा जाती हैं। इतना ही नहीं ये इतनी संख्या में पेड़ों पर बैठती हैं कि उनके भार से पेड़ टूट तक सकता है। वहीं एक टिड्डी अपने वजन के बराबर भोजन चट करती है। विशेषज्ञों के अनुसार झांसी में 90 लाख टिड्डियों ने हमला किया था यानी इतनी टिड्डियां मिलकर करीब 9000 किलोग्राम वजन का भोजन खा गई होगीं।
बहुत अधिक प्रजनन करती हैं टिड्डियां
एक मादा टिड्डी अपने जीवन में कम से कम तीन बार अंडे देती है और एक बार में 95 से 158 अंडे तक दे सकती है यानी एक वर्ग मीटर में टिड्डियों के करीब 1000 अंडे हो सकते हैं। वहीं एक टिड्डी का जीवन सामान्यतया तीन से पांच महीने का होता है। इसके अलावा एक टिड्डी दल पहले प्रजनन के बाद 20 गुना, दूसरे प्रजनन के बाद 400 गुना और तीसरे प्रजनन के बाद 16,000 गुना बड़ा हो जाता है।
भारत में आए अम्फान तूफान को माना जा रहा है टिड्डियों के प्रवेश का कारण
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की नई रिपोर्ट बताती है कि जलवायु का फायदा उठाकर टिड्डियां अब अपनी सामान्य क्षमता से 400 गुना तक प्रजनन करने लगी है। यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि भारत उन देशों में से एक है जहां जलवायु परिवर्तन का असर सबसे अधिक दिख रहा है। टिड्डियों का भारत में प्रवेश पूर्वी तट में आए विनाशकारी चक्रवाती तूफान के कारण हुआ है और ये हवा के रुख के साथ अपना स्थान बदल रही हैं।