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यूरोप ने जेल नेल पॉलिश में इस्तेमाल होने वाले रसायन पर लगाया प्रतिबंध, क्या है वजह?

यूरोप ने जेल नेल पॉलिश में इस्तेमाल होने वाले रसायन पर लगाया प्रतिबंध, क्या है वजह?

लेखन सयाली
Sep 05, 2025
05:22 pm

क्या है खबर?

जेल नेल पॉलिश नाखूनों को सजाने वाला एक मेकअप उत्पाद है, जिसके नकारात्मक प्रभाव अब उजागर हो रहे हैं। दरअसल, यूरोपीय देशों ने जेल नेल पॉलिश के कई ब्रांड में पाए जाने वाले एक रसायन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसे ट्राइमेथिलबेंजोयल डाइफेनिलफॉस्फीन ऑक्साइड (TOP) कहा जाता है। यूरोपीय संघ ने यह प्रतिबंध 1 सितंबर से लागू किया है, जिसके तहत TOP को यूरोप में बेचना, आयात करना या सौंदर्य उत्पादों में मिलाना मना है।

TOP

जानिए क्या होता है TOP

TOP एक फोटोइनिशिएटर के रूप में काम करता है, यानी यह प्रकाश के प्रति प्रतिक्रिया करता है। जेल नेल पॉलिश में इसे मिलाने से वह जल्दी सूखती है और जमती है। हालांकि, इसे एक जहरीला घटक माना जाता है और यह प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। यह सामग्री त्वचा संबंधी संक्रमण और जलन आदि की वजह भी बन सकती है। यह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को भी जन्म दे सकता है।

प्रतिबंध

नेल सैलून वालों को करना होगा इन निर्देशों का पालन

इस प्रतिबंध के लागू होने के बाद यूरोपीय संघ ने सभी नेल सैलून वालों को निर्देश दिए हैं कि उन्हें TOP का इस्तेमाल बिलकुल रोक देना है। साथ ही उन्हें पहले से खरीदे हुए उन सभी उत्पादों को भी फौरन फेंकना होगा, जिनमें यह रसायन मौजूद हो। उन्हें TOP के स्वस्थ और सुरक्षित विकल्प अपनाने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर न पड़े। इस रसायन को घर पर भी इस्तेमाल करना सख्त मना है।

जानकारी

TOP इस्तेमाल करने पर मिलेगी ये सजा

अगर कोई व्यक्ति इस प्रतिबंध का उलंघन करता है तो उन्हें जुर्माना भरना होगा या सजा भुगतनी होगी। यह जुर्माना 20 लाख रुपये से ज्यादा का हो सकता है। इससे यूरोप के लाखों नेल सैलून को नुकसान झेलना पड़ सकता है।

विकल्प

TOP के ये विकल्प हैं सुरक्षित

नेल सैलून के संचालक अपने ग्राहकों पर TOP रहित जेल नेल पॉलिश इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही वे इस रसायन के सुरक्षित विकल्प भी अपना सकते हैं, जिनके दुष्प्रभाव न हों। इनमें बेंजोयल पेरोक्साइड (BPO) या कम विषाक्तता स्तर वाले अन्य फोटोइनिशिएटर शामिल हो सकते हैं। फिरहाल तो यह प्रतिबंध केवल यूरोपीय संघ के अंतर्गत आने वाले देशों में लगाया गया है। हालांकि, अगले साल तक यूनाइटेड किंगडम (UK) में भी इसे लागू किया जा सकता है।