पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के जोखिम को कम कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
कहते हैं कि बाहरी घाव को भरना आसान होता है, लेकिन जब चोट मन पर लगती है तो उसे ठीक करना मुश्किल हो जाता है। दरअसल, कई बार कुछ घटनाएं या हादसे मन में ऐसे बैठ जाते हैं कि मानसिक रोग का कारण बन जाते हैं। ऐसा ही एक मानसिक रोग है, पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)। आइए आज कुछ प्राणायामों के अभ्यास का तरीका जानते हैं, जो इस रोग के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपने पूरे शरीर को ढीला छोड़कर नाक से गहरी सांस लें, फिर पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए इस सांस को छोड़ें। कुछ मिनट तक इस प्रक्रिया को दोहराते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोलें और प्राणायाम का अभ्यास बंद कर दें।
सूर्यभेदी प्राणायाम
सूर्यभेदी प्राणायाम के लिए योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठकर आंखें बंद करें। अब दाएं हाथ की छोटी और अनामिका उंगलियों से नाक के बाएं छेद को बंद करके दाएं छेद से सांस लें। इसके बाद ठोड़ी से सीने से लगाकर दबाव बनाएं और कुछ देर सांस को रोकें, फिर सिर को ऊपर करके दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छेद को बंद करके बाएं छेद से सांस छोड़ें। कुछ मिनट के बाद प्राणायाम छोड़ दें।
उद्गीथ प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें। अब दोनों आंखों को बंद करके गहरी सांस लें और इसे धीरे-धीरे छोड़ते हुए ओम का जाप करें। ध्यान रखें की जब आप यह उच्चारण कर रहे हों, तब आपका ध्यान आपकी सांसों पर केंद्रित हो। शुरूआत में इस प्राणायाम का अभ्यास 5-10 मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
अनुलोम विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। कुछ मिनट इस प्रक्रिया दोहराने के बाद धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और प्राणायाम का अभ्यास छोड़ दें।