एसिड रिफ्लक्स से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन
क्या है खबर?
एसिड रिफ्लक्स पाचन की समस्या है। यह तब होती है, जब पेट का एंट्री वॉल्व खाने के बाद पूरी तरह से बंद नहीं होता या बार-बार खुलता और बंद होता रहता है।
यह एक कष्टदायक स्थिति है, जिसके कारण पेट दर्द और सीने में जलन सहित कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।
आइए आज हम आपको 5 ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिनका अभ्यास समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है।
#1
मार्जरी आसन
मार्जरी आसन का अभ्यास करने के लिए योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठें और फिर हाथों को आगे की ओर फैलाकर घुटनों के बल आ जाएं।
अब सांस लेते हुए कमर को नीचे की ओर करें और गर्दन को ऊपर उठाएं। कुछ सेकंड ऐसे ही बने रहें।
इसके बाद सांस छोड़ते हुए रीढ़ की हड्डी को ऊपर करें और गर्दन को नीचे की ओर झुकाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहें और फिर सामान्य हो जाएं।
#2
अधोमुख श्वानासन
सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं।
अब सामने की तरफ झुकते हुए अपने हाथों को जमीन पर रखें और गहरी सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं। इस दौरान घुटनों को सीधा करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
इस योगासन में शरीर का पूरा भार हाथों और पैरों पर होना चाहिए और शरीर का आकार 'V' जैसा नजर आना चाहिए।
कुछ मिनट इसी अवस्था में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
#3
वीरभद्रासन II
सबसे पहले योगा मैट पर पैरों को 3-4 फीट की दूरी तक फैलाकर खड़े हो जाएं और हाथों को कंधे की सीध में फैला लें।
अब दाएं पैर को 90 डिग्री घुमाएं और शरीर को दाईं तरफ घुमाकर गहरी सांस लेते हुए दाएं घुटने को मोड़ें।
थोड़ी देर इसी अवस्था में रहें और फिर धीरे-धीरे वापस प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं। इसके बाद इस प्रक्रिया को विपरीत दिशा से दोहराएं।
यहां जानिए वीरभद्रासन II के अभ्यास से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
#4
बालासन
सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाए और गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुककर माथे को जमीन से सटाएं।
इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, माथा जमीन से टिका हुआ और छाती जांघों पर रहेगी।
कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इसके बाद सांस लेते हुए वापस वज्रासन की मुद्रा में आ जाए और सामान्य हो जाएं।
#5
अर्धमत्स्येन्द्रासन
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं और फिर अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए बाएं घुटने के ऊपर से इसके किनारे पर रख लें।
इसके बाद बाएं घुटने को मोड़कर इसकी एड़ी को दाएं कूल्हे के नीचे रखें और बाएं हाथ से दाएं टखने को पकड़ने की कोशिश करें। इस दौरान दाएं हाथ को कमर के पीछे रखें।
कुछ सेकंड इसी स्थिति में बने रहें और धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।