दोपहर को कुछ मिनट झपकी लेने से क्या उत्पादकता पर कोई असर पड़ता है?
क्या है खबर?
दोपहर की झपकी को लेकर कई धारणाएं हैं, जिनमें से एक यह है कि यह हमारी प्रोडक्टिविटी यानी उत्पादकता को नुकसान पहुंचा सकती है।
हालांकि, क्या वाकई ऐसा है? इस लेख में हम इसके पीछे की सच्चाई जानने का प्रयास करेंगे।
वैज्ञानिक शोध और विशेषज्ञों के अनुसार, दोपहर के समय झपकी लेने का हमारे शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आइए जानते हैं कैसे।
#1
ऊर्जा बढ़ाने में है सहायक
दोपहर की छोटी सी झपकी लेने से हमारी ऊर्जा स्तर में सुधार होता है।
जब हम लगातार काम करते रहते हैं तो हमारा शरीर थकान महसूस करने लगता है। ऐसे में 20-30 मिनट की नींद हमें तरोताजा कर सकती है और हमारी ऊर्जा को फिर से भर देती है।
इससे हम अपने काम को अधिक ध्यानपूर्वक और उत्साह के साथ कर सकते हैं, जिससे उत्पादकता बढ़ती है न कि घटती।
#2
मानसिक स्वास्थ्य के लिए है फायदेमंद
दोपहर की नींद हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती है। यह तनाव कम करने में मदद करती है और मस्तिष्क को आराम देती है।
जब हमारा दिमाग शांत होता है तो हम बेहतर निर्णय ले सकते हैं और समस्याओं का समाधान आसानी से ढूंढ सकते हैं।
इसलिए दोपहर की नींद लेना मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा उपाय हो सकता है, जो हमारी कार्यक्षमता को बढ़ाता ही नहीं बल्कि उसे स्थिर भी रखता है।
#3
याददाश्त सुधारने में है प्रभावी
शोध बताते हैं कि दोपहर को झपकी लेने से याददाश्त बेहतर होती है।
जब हम सोते हैं तो हमारा मस्तिष्क नई जानकारी को प्रोसेस करता रहता है और उसे लंबे समय तक याद रखने लायक बनाता रहता है।
इससे हमें नई चीजें सीखने में आसानी होती है। इसलिए अगर आप कुछ नया सीख रहे हों या किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हों तो थोड़ी देर सोना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है ।
#4
रचनात्मकता बढ़ाने का है साधन
रचनात्मक कार्यों के लिए तरोताजा दिमाग जरूरी होता है।
दोपहर की झपकी से मस्तिष्क को नई ऊर्जा मिलती है, जिससे रचनात्मक सोच विकसित होती है।
जब हम किसी समस्या का हल नहीं ढूंढ पाते, तब थोड़ी देर सोकर उठने पर नए विचार आते हैं।
इसलिए अगर आप अपनी रचनात्मक क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं तो दिन में थोड़ी देर आराम करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।