PCOS के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन
PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम कोई समस्या नहीं है, बल्कि महिलाओं में हार्मोन असंतुलन की स्थिति है। इससे ग्रस्त महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना और बालों के झड़ने जैसी कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। हालांकि, अगर सही इलाज, डाइट और कुछ योगासनों को अपनाकर इसके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। आइए आज PCOS के खिलाफ सबसे ज्यादा असरदार 5 योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं।
सुप्त बद्धकोणासन
सबसे पहले चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं, फिर दोनों हाथों और पैरों को क्षमतानुसार फैला लें। अब पैरों को घुटनों से मोड़कर दोनों तलवों को आपस में मिला लें। इस दौरान अपनी दोनों आंखों को बंद करके सामान्य गति से सांस लेते रहें। कुछ सेकंड के बाद आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें। आप चाहें तो अपनी पीठ के नीचे सपोर्ट के लिए कोई मुलायम तकिया भी रख सकते हैं। यहां जानिए सुप्त बद्धकोणासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
भारद्वाजासन
भारद्वाजासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले चटाई पर दंडासन अवस्था में बैठ जाएं, फिर बाएं पैर को घुटने से मोड़ें। अब दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखें और पीठ के पीछे से दाएं हाथ से दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं घुटने पर रखें, फिर कमर को दाईं ओर ट्विस्ट करें। कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।
धनुरासन
धनुरासन के लिए सबसे पहले चटाई पर पेट के बल लेट जाएं, फिर दोनों घुटनों को कमर की तरफ से मोड़ें और हाथों से टखनों को पकड़ें। इसके बाद सांस लेते हुए अपने पूरी शरीर को इस प्रकार ऊपर उठाने की कोशिश करें कि शरीर का आकार धनुष के समान लगे। अब अपनी क्षमता के हिसाब से इस मुद्रा में रहें और धीरे-धीरे सांस लेते और छोड़ते रहें। कुछ सेकेंड बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
बिटिलासन
इसके लिए पहले चटाई पर वज्रासन की मद्रा में बैठें, फिर आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे सीधे जमीन पर टिका लें। अब कूल्हे को ऊपर की तरफ और पेट को जमीन की ओर दबाएं। इसके बाद सिर को उठाते हुए कुछ सेकंड सीधे या फिर आसमान की तरफ देखें। कुछ देर इस मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे वज्रासन की अवस्था में वापस आ जाएं और आसन छोड़ दें।
पश्चिमोत्तानासन
सबसे पहले योग मैट पर दोनों पैरों को आपस में सटाकर और आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब दोनों हाथ ऊपर की ओर उठाएं फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे कि ओर झुकें और माथे को घुटनों से सटाते हुए हाथों से पैरों के अंगुठों को पकड़ने का प्रयास करें। कुछ सेकंड के लिए इसी अवस्था में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें। अंत में गहरी सांस लेते हुए सामान्य हो जाएं।