
लखनवी बनाम चिकनकारी: जानिए इन कपड़ों के बीच का अंतर
क्या है खबर?
लखनवी और चिकनकारी के कपड़े उत्तर प्रदेश की पारंपरिक कढ़ाई की शैलियां हैं। हालांकि, ये दोनों एक दूसरे से काफी अलग हैं। लखनवी कपड़ों में बारीक और नाजुक डिजाइन होती हैं, जबकि चिकनकारी की कढ़ाई आमतौर पर मोटी होती है। इसके अलावा लखनवी की कढ़ाई में सुनहरे धागे का इस्तेमाल होता है, जबकि चिकनकारी की कढ़ाई में सफेद धागे का। आइए इन दोनों के बीच के अन्य अंतर जानते हैं।
लखनवी
लखनवी कढ़ाई की खासियत
लखनवी कपड़ों में बारीक और नाजुक डिजाइन होती है। इन पर सुनहरे धागे का इस्तेमाल किया जाता है, जो इन्हें एक शाही लुक देता है। यह आमतौर पर साड़ियों और कुर्तियों पर किया जाता है। लखनवी की कढ़ाई में फूल, पत्ते और ज्यामितीय आकृतियां शामिल होती हैं। यह कढ़ाई हाथ से की जाती है और इसमें बहुत समय लगता है, जिससे इसका मूल्य बढ़ जाता है। यह कपड़े शादी-ब्याह और खास मौकों के लिए आदर्श होते हैं।
चिकनकारी
चिकनकारी कढ़ाई का तरीका
चिकनकारी एक पारंपरिक तकनीक है, जिसमें सफेद धागे से मोटी कढ़ाई की जाती है। यह आमतौर पर कुर्तियों, सलवार-कमीज और दुपट्टों पर होती है। चिकनकारी की कढ़ाई में फूल, बेलबूटे और अन्य डिजाइन शामिल होते हैं, जो इसे एक खास रूप देते हैं। यह कढ़ाई हाथ से की जाती है, लेकिन इसे लखनवी की तुलना में कम समय लगता है। चिकनकारी के कपड़े रोजमर्रा के उपयोग के लिए उपयुक्त होते हैं।
कीमत
दोनों कढ़ाई के कपड़ों की कीमत
लखनवी कढ़ाई वाले कपड़े आमतौर पर महंगे होते हैं क्योंकि इनमें सुनहरे धागे का इस्तेमाल होता है और ये हाथ से बनाए जाते हैं। दूसरी ओर, चिकनकारी वाले कपड़े सस्ते होते हैं क्योंकि इनमें केवल सफेद धागे का उपयोग होता है। हालांकि, दोनों प्रकार की कढ़ाई की अपनी खासियत और सुंदरता है, जो इन्हें आकर्षक बनाती है। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने बजट और जरूरतों के अनुसार सही विकल्प चुनें।
देखभाल
दोनों कढ़ाई की देखभाल कैसे करें?
लखनवी कढ़ाई वाले कपड़ों को धोते समय सावधानी बरतनी चाहिए ताकि उनकी चमक बनी रहे। इन्हें हाथ से धोना बेहतर होता है। दूसरी ओर, चिकनकारी वाले कपड़े मशीन में धोए जा सकते हैं, लेकिन बहुत तेज धुलाई से बचना चाहिए ताकि उनकी कढ़ाई खराब न हो। इस प्रकार आप इन दोनों प्रकार की पारंपरिक कढ़ाई वाली वस्त्रों के बारे में अधिक जान सकते हैं और अपने लिए उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं।