स्लीप एपनिया के जोखिम कम करने में सहायक हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
क्या है खबर?
स्लीप एपनिया नींद से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जिसके कारण व्यक्ति को सोते वक्त सांस लेने में मुश्किल होती है और उसकी रात में बार-बार नींद खुलती है।
वहीं, समय रहते अगर इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो यह मौत के मुंह में भी धकेल सकती है।
आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो स्लीप एपनिया के जोखिम कम करने में मदद कर सकते हैं।
#1
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछाकर उस पर घुटनों के बल बैठ जाएं, फिर घुटनों के बल ही खड़े हो जाएं।
अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखने की कोशिश करें।
इस मुद्रा में कम से कम एक-दो मिनट रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और कुछ मिनट विश्राम करें।
#2
विपरीतकरणी आसन
विपरीतकरणी आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे पीठ के बल लेट जाएं।
अब अपने पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठा कर 90 डिग्री का कोण बना लें। ध्यान रखें कि आपके तलवे ऊपर की ओर होने चाहिए।
इसके बाद अपने नितंब को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम दो-तीन मिनट तक रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इसके बाद दोबारा इस योगासन का अभ्यास करें।
#3
जानुशीर्षासन
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं और फिर अपने दाएं घुटने को मोड़ते हुए बाईं जांघ के सहारे लगा लें।
अब अपने शरीर को आगे की तरफ झुकाएं और बाएं पैर के अंगूठे को दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करें। इसी मुद्रा में आप अपने सिर को घुटनों से छूने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
इस प्रक्रिया को दूसरे पैर से भी दोहराएं।
#4
शवासन
सबसे पहले योगा मैट पर आराम मुद्रा में लेट जाएं और आंखें बंद कर लें। अब दोनों हथेलियों को शरीर से लगभग एक फीट की दूरी पर रखें।
इसके अलावा पैरों को भी एक-दूसरे से लगभग दो फीट की दूरी पर रखें।
अब धीरे-धीरे सांसें लें और पूरा ध्यान सांस पर लगाने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद आखों को धीरे-धीरे खोलें।
अंत में दाईं ओर करवट लेकर उठें और आसन को छोड़ दें।