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वायु प्रदूषण बन सकता है मनोभ्रंश के खतरनाक प्रकारों का कारण, अध्ययन में हुआ खुलासा

वायु प्रदूषण बन सकता है मनोभ्रंश के खतरनाक प्रकारों का कारण, अध्ययन में हुआ खुलासा

लेखन सयाली
Sep 05, 2025
02:02 pm

क्या है खबर?

वायु प्रदूषण कई जानलेवा बीमारियों का कारण बन रहा है और लोगों की जीवन प्रत्याशा भी कम कर रहा है। काफी कम लोग जानते हैं कि इसका मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ सकता है। एक नए अध्ययन ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि वायु प्रदूषण के कारण मनोभ्रंश का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, यह समस्या मनोभ्रंश के कई खतरनाक प्रकारों को भी जन्म दे सकती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

अध्ययन

वायु प्रदूषण जानलेवा प्रोटीन बढ़ाकर पैदा करता है मनोभ्रंश

इस अध्ययन को 'साइंस' नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। डॉ शियाओबो माओ ने इसका नेतृत्व किया है, जो अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजिस्ट हैं। इस शोध से पता चला है कि वायु प्रदूषण सूक्ष्म प्रोटीन के विषाक्त गुच्छों के निर्माण को बढ़ावा देता है। इससे मनोभ्रंश के कई जानलेवा प्रकार उत्पन्न हो जाते हैं, जो मस्तिष्क में फैलते समय तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं।

प्रोटीन

वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से दिमाग पर क्या असर होता है?

हवा में जो प्रदूषित कण मौजूद होते हैं, वे सांस लेने पर शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद वे हानिकारक प्रोटीन वाले गुच्छों में बदल जाते हैं। यह लेवी बॉडी मनोभ्रंश का प्रमुख लक्षण है, जो इस बीमारी का दूसरा सबसे खतरनाक प्रकार होता है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के जरिए सुझाव दिया है कि अगर हम वायु प्रदूषण को कम करने में सक्षम होते हैं तो कई लोगों को मनोभ्रंश से बचाया जा सकता है।

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जांच

5.65 करोड़ रोगियों की जांच कर पूरा हुआ अध्ययन

अध्ययन के लिए अमेरिका के 5.65 करोड़ लोगों के अस्पताल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया था। सभी मनोभ्रंश से पीड़ित थे और सालों से इलाज करवा रहे थे। इसके बाद शोधकर्ताओं ने उन रोगियों की जांच की, जिन्हें 2000 और 2014 के बीच पहली बार प्रोटीन क्षति के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे PM2.5 प्रदूषण के दीर्घकालिक संपर्क का पता चला, जो हवा में मौजूद एक मिलीमीटर के 2.5 हजारवें हिस्से से भी छोटे कण होते हैं।

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नतीजे

अध्ययन से सामने आई ये जानकारी

शोधकर्ताओं ने मुताबिक, PM2.5 कण नाक से होते हुए फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं। साथ ही ये खून, दिमाग और अन्य अंगों में भी घर कर सकते हैं। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से लेवी बॉडी मनोभ्रंश का खतरा बढ़ जाता है। लेवी बॉडी अल्फा-सिन्यूक्लिन नामक प्रोटीन से बनती हैं, जो मस्तिष्क कार्यप्रणाली के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। हालांकि, वायु प्रदूषण खराब लेवी बॉडी बनाता है, जो तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर दिमाग पर असर डालती हैं।

लेवी बॉडी

अध्ययन के दौरान चूहों पर किया गया था परीक्षण

शोधकर्ताओं ने चूहों को 10 महीने तक हर दूसरे दिन PM2.5 प्रदूषण के संपर्क में रखा। इससे यह पता लगाने में मदद मिली कि क्या वायु प्रदूषण लेवी बॉडी को सक्रिय कर सकता है या नहीं। इनमें से कुछ चूहे साधारण थे, लेकिन अन्य को अल्फा-सिनुक्लिन बनाने से रोकने के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित किया गया था। साधारण चूहों में तंत्रिका कोशिकाएं मर गईं, जिससे उनका दिमाग सिकुड़ गया। वहीं, अन्य चूहों पर कोई खास असर नहीं हुआ।

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