
वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से किशोरावस्था में बच्चे रहते हैं ज्यादा बीमार- अध्ययन
क्या है खबर?
वायु प्रदूषण स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक है, वहीं हाल ही में सामने आए एक नए अध्ययन से पता चला है कि जो बच्चे वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में रहते हैं, उन्हें किशोरावस्था में कई बीमारियां होने की संभावना ज्यादा रहती है।
यह अध्ययन यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शिक्षाविदों द्वारा किया गया है और इसके सामने आए परिणाम आश्चर्यजनक हैं।
आइए इस अध्ययन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
अध्ययन
9,000 युवाओं के स्वास्थ्य डेटा पर किया गया अध्ययन
इस अध्ययन के लिए यूनाइटेड किंगडम (UK) में 2000 और 2002 के बीच पैदा हुए 9,000 युवाओं के स्वास्थ्य का डेटा देखा गया और इससे PM2.5, PM10 और NO2 सहित विभिन्न प्रकार के वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने की उनकी क्षमता को मापा गया।
परिणामों में पाया गया कि बचपन में प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले किशोरों की उम्र दो से चार साल थी और उनमें 17 साल की उम्र में खराब स्वास्थ्य का जोखिम देखा गया।
खतरा
बच्चों के किशोरावस्था में बढ़ा बीमारियों का खतरा
अध्ययन में यह भी पाया गया कि जातीय अल्पसंख्यक और वंचित पड़ोस के बच्चे वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके खराब स्वास्थ्य और पुरानी बीमारियों का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉक्टर गेर्गो बरनी ने कहा, "अध्ययन इस दृष्टिकोण से अनोखा है कि यह जन्म से लेकर लगभग 20 वर्ष की आयु तक के बच्चों का अनुसरण करने में सक्षम रहा।"
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण से खून के प्रवाह और दिमाग में चले जाते हैं प्रदूषक कण
डॉक्टर गेर्गो ने आगे कहा, "जातीय अल्पसंख्यकों में वायु प्रदूषण अधिक होने का एक कारण यह है कि वे मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और अधिक वंचित इलाकों में भी रहते हैं। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य को प्रभावित करता है क्योंकि छोटे कण श्वसन पथ में प्रवेश करने में सक्षम होते हैं, जो खून के प्रवाह और दिमाग में भी प्रवेश करने में सक्षम होते हैं।"
पर्यावरणीय खतरा
स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा है वायु प्रदूषण
फ्रेंड्स ऑप द अर्थ की जेनी बेट्स ने कहा, "वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा है और शरीर के हर अंग को प्रभावित कर सकता है क्योंकि प्रदूषक कण हमारे फेफड़ों से हमारे खून के प्रवाह में चले जाते हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "सरकार को वायु प्रदूषण लक्ष्यों को मजबूत करने के लिए अभी से काम करना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे यूरोपीय संघ ने किया।"