लीवर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन, ऐसे करें अभ्यास
क्या है खबर?
लीवर शरीर का सबसे बड़ा ठोस अंग है, जो विषाक्त पदार्थों को निकालने, पोषक तत्वों का भंडारण करने और पित्त स्रावित करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है।
हालांकि, अगर किसी कारणवश लीवर में संक्रमण या बीमारी हो जाती है तो इससे पूरा शारीरिक ढांचा प्रभावित हो सकता है।
आइए आज हम आपको 5 ऐसे योगासनों के बारे में बताते हैं, जिनका नियमित अभ्यास लीवर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
#1
वज्रासन का करें अभ्यास
सबसे पहले घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। इस स्थिति में दोनों पैरों के अंगुठों को साथ में मिलाएं और एड़ियों को अलग रखें।
अब नितंबों को एड़ियों पर टिकाकर हथेलियां को घुटनों पर रखें। इस दौरान पीठ और सिर को सीधा रखें।
इसके बाद आंखें बंद करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस अवस्था में कम से कम 5-10 मिनट तक बैठने की कोशिश करें और फिर सामान्य हो जाएं।
#2
पद्मासन से होगा फायदा
इसके लिए योगा मैट पर पैरों को सामने की ओर फैलाकर एकदम सीधा बैठ जाएं।
अब दाएं पैर को मोड़कर इसकी एड़ी को बाईं जांघ पर रखें और बाएं पैर को मोड़कर इसकी एड़ी को दाईं जांघ पर रखें।
इसके बाद हाथों से ज्ञान मुद्रा बनाकर इन्हें घुटनों पर रखें और दोनों आंखों को बंद कर लें।
कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे आंखें खोलें और सामान्य हो जाएं।
#3
बद्धकोणासन भी है प्रभावी
बद्धकोणासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब पैरों को मोड़कर दोनों तलवों को आपस में मिला लें।
इसके बाद दोनों हाथों से तलवों को पकड़ लें और अपने दोनों घुटनों को आराम-आराम से तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे करें। इस दौरान सामान्य गति से सांस लेते रहें।
कुछ सेकंड के बाद आसन को धीरे-धीरे छोड़ दें।
#4
चतुरंग दंडासन करें
सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेटें। अब दोनों हथेलियों को अपने सीने के पास लाकर जमीन पर रखें और दोनों तलवों की उंगलियां को जमीन से सटाएं।
इसके बाद हथेलियों पर वजन डालकर अपने शरीर को ऊपर उठाएं। इस दौरान आपके शरीर का पूरा भार हथेलियों और तलवों की उंगलियों पर होना चाहिए।
कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
#5
शवासन भी है फायदेमंद
शवासन के लिए पहले योगा मैट पर आराम मुद्रा में लेट जाएं और आंखें बंद कर लें।
अब दोनों हथेलियों को शरीर से लगभग एक फीट की दूरी पर रखें और पैरों को एक-दूसरे से लगभग दो फीट की दूरी पर रखें।
अब धीरे-धीरे सांसें लें और पूरा ध्यान सांस पर लगाने की कोशिश करें।
कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद आखों को धीरे-धीरे खोलें। अंत में दाईं ओर करवट लेकर उठें और आसन को छोड़ दें।