कोलकाता के 5 मशहूर राजबाड़ी, एक बार जरूर जाएं
कोलकाता कई राजबाड़ी और शाही निवासों का घर है, जो ब्रिटिशों के शासन के दौरान जमींदारों के थे। इन भव्य हवेलियों को बाद में शाही परिवारों ने अपने तरीके से सजाया और इनमें रहें। हालांकि, अब इनमें से कई राजबाड़ी को हेरिटेज रिजॉर्ट में बदल दिया गया है, जबकि कुछ अभी भी खंडहर हैं। आइए आज कोलकाता और इसके आस-पास के पांच प्रसिद्ध राजबाड़ी के बारे में जानते हैं।
शोभाबाजार राजबाड़ी
उत्तरी कोलकाता में स्थित शाही शोभाबाजार राजबाड़ी का निर्माण सुतानुति गांव के शासक नबकृष्णा देव ने करवाया था। जमींदारी और भव्यता का प्रतीक इस राजबाड़ी में मेहमानों के स्वागत के लिए एक हरे रंग वाला लॉन है। इस राजबाड़ी में साल 1757 के बाद से दुर्गा पूजा भी मनाई जाती है। इस राजबाड़ी में खूबसूरत फर्श, हॉलवे से लाई गई मैक्सिम पेंटिंग्स और इतालवी फर्नीचर है।
जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी
जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी एक ऐतिहासिक हवेली है, जो भारत के पहले नोबल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का निवास स्थान हुआ करती थी। कोलकाता के रवीन्द्र सरानी में स्थित इस जगह पर रवींद्रनाथ ने अपनी साहित्यिक लेखन की शुरुआत की थी। इस हवेली में ब्रिटिश काल के दौरान कई थिएटर सेशन, डांस और पार्टियां हुईं। यह हवेली सोमवार को छोड़कर हर दिन सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहती है।
इतचुना राजबाड़ी
कोलकाता से कुछ ही घंटे की दूरी पर स्थित इतचुना राजबाड़ी एक अच्छी तरह से संरक्षित विरासत महल है, जिसे अब एक महलनुमा होमस्टे में बदल दिया गया है। इस राजबाड़ी को बरगी डांगा भी कहा जाता है और इसका निर्माण कुंडू परिवार ने करवाया था। 200 साल पुराने इस महल में प्राचीन ताबूत, पांच आंगन, लकड़ी की सजावट, पुराने ग्रंथ और सुंदर मिट्टी के कॉटेज हैं।
बासुबती
कोलकाता के बागबाजार में स्थित बासुबती का निर्माण साल 1879 में जमींदार पशुपति बसु और नंद लाल ने करवाया था। यह महल 13वीं शताब्दी के होयसला कारीगरों से एक अनूठी शैली में बनाया गया है और इसके स्तंभों को मध्य भारत की गोथिक हवेली के समान डिजाइन किया गया है। आपको इस महल के पूरे ढांचे में कई इस्लामी और हिंदू पेंटिंग मिलेंगी।
राजबाड़ी बावली
कोलकाता से लगभग कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजबाड़ी बावली 250 साल पहले बनाई गई थी और यह अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। इस बावली का निर्माण बंगाल के मंडल परिवार ने करवाया था। हालांकि, यह स्वतंत्रता के बाद धीरे-धीरे खंडर बनता गया और बाद में इसे एक लक्जरी रिजॉर्ट में बदल दिया गया। इस बावली को पुरानी चीजों से सजाया गया है।