भारत के पांच सबसे खूबसूरत और शाही किले, एक बार जरूर देखें
भारत में कई शानदार किले और महल हैं, जो समृद्ध इतिहास के साथ-साथ संस्कृति से जुड़े हुए हैं। ज्यादातर राजपूत शासकों द्वारा निर्मित इन स्थापत्य किलों में कई ऐतिहासिक युद्ध हुए हैं। वहीं, इन अद्भुत संरचनाओं में आपको मुगल काल के अवशेष भी मिलेंगे। अगर आप इतिहास में रूचि रखते हैं तो आपको एक बार इन किलों की ओर रूख जरूर करना चाहिए। चलिए फिर आज भारत के शाही किलों के बारे में जानते हैं।
लाल किला
पुरानी दिल्ली के मुख्य आकर्षणों में से एक लाल किला ने शुरुआती शताब्दियों में मुगलों की राजधानी के रूप में कार्य किया। लाल बलुआ पत्थर से बने इस किले का निर्माण 1638 में शाहजहां की देखरेख में शुरू हुआ था और 1648 में पूरा हुआ था। साल 2007 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह किला फारसी, इस्लामिक और तैमूर शैली की वास्तुकला में बनाया गया है।
आगरा का किला
उत्तर प्रदेश में स्थित आगरा का किला एक ऐसी ऐतिहासिक स्मारक है, जिसे सबसे पहले 1983 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इतिहासकारों के अनुसार, यह किला मूल रूप से लोदी वंश द्वारा बनाया गया था, जिसके बाद यह मुगलों के पास चला गया। वहीं, 16वीं शताब्दी में अकबर ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था और 1803 में भारत सरकार के अधीन आने से पहले अंग्रेजों ने इस किले पर कब्जा कर लिया था।
ग्वालियर का किला
भारत के सबसे पुराने किलों में से एक ग्वालियर का किला 10वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह मध्य प्रदेश के एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। मान मंदिर पैलेस इस किले के प्रमुख आकर्षणों में से एक है, जिसे राजा मान सिंह तोमर ने 1486 और 1516 के बीच बनवाया था। इस किले के खुले आंगन में हर रात एक ध्वनि और प्रकाश शो आयोजित किया जाता है।
कांगड़ा किला
हिमाचल प्रदेश में स्थित कांगड़ा किले का निर्माण लगभग 3,500 साल पहले कटोच वंश के महाराजा सुशर्मा चंद्र ने करवाया था। 1615 में अकबर ने इस किले पर हमला किया था और उसके बेटे ने 1620 में इसे अपने नियंत्रण में ले लिया था। इसके बाद अंग्रेजों समेत कई शक्तिशाली शासकों ने इस किले पर अपना अधिकार जाता था और 1905 में भूकंप के कारण इसे गंभीर नुकसान पहुंचा था।
झांसी का किला
झांसी का किला उत्तर प्रदेश में बंगीरा के पहाड़ की चोटी पर स्थित है और इसका निर्माण 400 साल पहले ओरछा के राजा बीर सिंह जू देव ने करवाया था। हालांकि, यह किला बाद में रानी लक्ष्मीबाई के नियंत्रण में चला गया था, जिन्होंने यहां 1857 के भारतीय विद्रोह का नेतृत्व किया था। इस किले को मराठा और बुंदेला शैली की वास्तुकला में बनाया गया है।