
भारतीय लोक कला के ये 5 रूप हैं बहुत सुंदर, जानिए इनके बारे में
क्या है खबर?
भारत की लोक कला की कई ऐसी रूप हैं, जो न केवल देखने में सुंदर हैं, बल्कि इनमें गहरी सांस्कृतिक धरोहर भी छिपी हुई है।
इन कला रूपों के माध्यम से हमें अपने पूर्वजों की सोच, उनकी जीवनशैली और उनके मूल्यों का पता चलता है।
आइए आज हम आपको पांच ऐसी लोक कला की रूपों के बारे में बताते हैं, जिनका संरक्षण करना बहुत जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इनका आनंद ले सकें।
#1
वारली चित्रकारी
महाराष्ट्र की वारली चित्रकारी एक प्राचीन आदिवासी कला है, जो मुख्य रूप से वारली जनजाति द्वारा बनाई जाती है।
इस कला में सफेद रंग के पेस्ट पर काले रंग की मिट्टी का उपयोग होता है। इसमें मानव आकृतियां, जानवर, पेड़ और रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी चित्रकारी शामिल होती है।
वारली चित्रकारी में ज्यामितीय आकारों का उपयोग होता है और यह सरल लेकिन गहरी होती है, जो आदिवासी जीवनशैली को दर्शाती है।
#2
मधुबनी चित्रकला
बिहार की मधुबनी चित्रकला एक लोकप्रिय लोक कला है, जो हिंदू पौराणिक कहानियों, धार्मिक अनुष्ठानों और प्राकृतिक दृश्यों पर आधारित होती है।
इसमें लाल, हरे, नीले और पीले रंगों का उपयोग होता है। मधुबनी चित्रकला में ज्यामितीय आकारों का उपयोग होता है और यह सरल लेकिन गहरी होती है, जो बिहार के ग्रामीण जीवन को दर्शाती है।
इस कला में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जो इसे और भी खास बनाता है।
#3
पट्टचित्रकला
ओडिशा की पट्टचित्रकला एक पुरानी चित्रकारी शैली है, जिसमें कपड़े या लकड़ी पर चित्र बनाए जाते हैं।
इस कला में धार्मिक चित्रण, ओडिशा के मंदिरों की मूर्तियां और प्राकृतिक दृश्यों को दर्शाया जाता है।
पट्टचित्रकला में चमकीले रंगों का उपयोग होता है और इसे प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है।
यह कला ओडिशा की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है और इसे बचाना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसका आनंद ले सकें।
#4
कलमकारी कला
आंध्र प्रदेश की कलमकारी एक पारंपरिक कपड़ा रंगाई तकनीक है, जिसमें कपड़े पर हाथ से चित्रकारी की जाती है।
इस कला में धार्मिक चित्रण, पौराणिक कहानियों और प्राकृतिक दृश्यों को दर्शाया जाता है।
कलमकारी में प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता है और इसे बहुत ही सावधानीपूर्वक तरीके से बनाया जाता है।
यह कला आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है और इसे बचाना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसका आनंद ले सकें।
#5
पथचित्र कला
पथचित्र कला पश्चिम बंगाल की एक पारंपरिक चित्रकारी शैली है, जिसमें कपड़े या कागज पर चित्र बनाए जाते हैं।
इस कला में स्थानीय पौधों, जानवरों, त्योहारों आदि को दर्शाया जाता है। पथचित्र कला में चमकीले रंगों का उपयोग होता है और इसे प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है।
यह कला पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है और इसे बचाना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इसका आनंद ले सकें।