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#NewsBytesExplainer: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के फार्मा सेक्टर पर क्यों नहीं लगाया टैरिफ?
अमेरिका ने फिलहाल टैरिफ से भारतीय दवाओं को छूट दी है

#NewsBytesExplainer: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के फार्मा सेक्टर पर क्यों नहीं लगाया टैरिफ?

लेखन आबिद खान
Aug 27, 2025
01:33 pm

क्या है खबर?

भारत पर आज से 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ लागू हो गया है। इससे लगभग 5.23 लाख करोड़ रुपये के भारतीय निर्यात पर बड़ा असर पड़ने की संभावना है। कपड़े, आभूषण, रत्न, फर्नीचर और समुद्री भोजन जैसे कई भारतीय निर्यात क्षेत्र प्रभावित होंगे। हालांकि, अमेरिका ने भारतीय दवा उद्योग को टैरिफ वृद्धि से छूट दी है। इसके पीछे भारतीय जेनेरिक दवाओं की अमेरिकी बाजार में पहुंच को वजह माना जा रहा है। आइए इसकी अन्य वजहें समझते हैं।

बाजार

सबसे पहले जानिए कहां से कितनी दवाएं आयात करता है अमेरिका

अमेरिका ने 2023 में कुल 7.5 लाख करोड़ रुपये की दवाओं का आयात किया था। इसमें से सबसे ज्यादा 3.1 लाख करोड़ रुपये का आयात आयरलैंड से किया था। इसके बाद जर्मनी से 1.65 लाख करोड़, स्विट्जरलैंड से 1.30 लाख करोड़, भारत से 94,000 करोड़ और चीन से 89,000 करोड़ रुपये की दवाएं आयात की थीं। 2021 से 2024 के बीच अमेरिका का दवा आयात 12.5 प्रतिशत बढ़ गया है।

भारत

अमेरिका के लिए क्यों अहम है भारतीय दवाएं?

फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल दवा निर्यात का 31 प्रतिशत अमेरिका को किया गया था। भारत अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45 प्रतिशत जेनेरिक और 15 प्रतिशत बायोसिमिलर दवाओं की आपूर्ति करता है। टैरिफ लागू होने के बाद भारतीय दवा निर्यातकों ने अपने शिपमेंट ऑस्ट्रेलिया भेजना शुरू कर दिए थे। इससे अमेरिकी बाजार में अस्थिरता को खतरा था। इसके बाद अमेरिका ने दवाओं को टैरिफ से बाहर रखा।

विशेषज्ञ

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

बसव कैपिटल के सह-संस्थापक संदीप पांडे ने मिंट से कहा, "अमेरिका के कुल दवा आयात में भारत का हिस्सा लगभग 6 प्रतिशत है, जो अमेरिकी मेडिकेयर प्रणाली की भारत पर निर्भरता दर्शाता है।" विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका अपनी दवा आपूर्ति के लिए भारत पर अत्यधिक निर्भर है और उसकी लगभग आधी जेनेरिक दवाइयां भारत से आती हैं। अमेरिका में पहले से ही उच्च स्वास्थ्य खर्च को देखते हुए दवाओं पर तत्काल टैरिफ लगाए जाने की संभावना कम है।

टैरिफ

अगर दवाओं पर टैरिफ लगा तो क्या असर होगा?

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि अगर टैरिफ लागू होते हैं, तो कंपनियों को अपने अमेरिकी निर्यात में काफी कमी करनी पड़ सकती है। कुछ मामलों में तो कारोबार पूरी तरह बंद करना पड़ सकता है। कंपनियां बढ़ी हुई लागत का बोझ मरीजों पर डालने जैसे अन्य विकल्पों पर विचार कर सकती हैं। भारतीय कंपनियां अमेरिकी जेनेरिक पोर्टफोलियो में कई दवाएं बहुत कम मार्जिन पर बेच रही हैं, इसलिए कंपनियों को अमेरिका में उनकी बिक्री बंद करनी पड़ सकती है।

कंपनियां

किन-किन कंपनियों पर पड़ सकता है असर?

अमेरिकी टैरिफ से जाइडस लाइफसाइंसेज, डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेटरीज, ग्लैंड फार्मा और बायोकॉन जैसी कंपनियों पर बड़ा असर होगा। जाइडस लाइफसाइंसेज की 45 प्रतिशत बिक्री अमेरिका से आती है। डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेटरीज का 43 प्रतिशत कारोबार अमेरिका से आता है। इसे अमेरिका से इंजेक्टेबल दवाओं से 25 प्रतिशत से अधिक राजस्व प्राप्त होता है। ग्लैंड फार्मा की 54 प्रतिशत बिक्री और बायोकॉन की 50 प्रतिशत अमेरिका से आती है।

टैरिफ

ट्रंप ने कही थी दवाओं पर टैरिफ लगाने की बात

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों कहा था, "हम दवा आयात पर बहुत बड़ा कुछ करने जा रहे हैं। इस पर बड़ा टैरिफ आने वाला है। दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं।" ट्रंप ने 2 अप्रैल को 'मुक्ति दिवस' के तहत कई देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। 5 अप्रैल से हर देश पर 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ और 9 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया गया था।